वह हंसती है

"वह हँसती है"

वह हँसती है..
पर क्या किसी ने उसकी हँसी के
पीछे की सिसकियों को देखा है ?
ऊपर से खिलखिला कर हँसने वाली
आत्मा की पुकार को देखा है ?
ऊपर से दृढ दिखने वाली को,
रातों के अँधेरे में बेसहारा होते हुए देखा है ?
मैंने देखा है..
वह हँसती है लोगों को झुठलाने के लिए 
दृढ दिखती है कमजोरी को छुपाने के लिए 
सहारा देती है तो बस , लोग उसे बेसहारा न कहें

-कुसुम ठाकुर-


16 comments:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर भावुक कर देने वाली रचना .

ओम आर्य said...

yah puri satya hai .......jab insan sabse jyada besahara our akela hota hai to usame yah sare lachhan dikhata hai ........aankhe nam ho gayi......bahut bahut dhanyawaad

हरीश करमचंदाणी said...

marmik kavita

Mithilesh dubey said...

बहुत सुन्दर व मार्मिक रचना।

Unknown said...

waah !

Unknown said...

di really....kafi achhi hai,aapke he jaisi.

Kusum Thakur said...

मेरे सभी पाठकों और साथियों को आभार.

अमिताभ मीत said...

अच्छा है.

Asha Joglekar said...

seene men dard dabaye hoton pe muskan liye ye aapkee nayika............

pushpa said...

aapki is sachhai se oot prot rachna ke liye bas ek line kahna chhahungi.
"zindgi..........ka safar hai ye kaisa.......safar koi samjha nahi koi jaana nahi........"

pushpa said...

aapki is sachhai se oot prot rachna ke liye bas ek line kahna chhahungi.
"zindgi..........ka safar hai ye kaisa.......safar koi samjha nahi koi jaana nahi........"

M VERMA said...

खूबसूरत एहसास की रचना. अच्छा लगा

Prabha said...

Kam shabdo me gambheer bhaw ki abhiwaykti...Lajawab

avinash narayan said...

hi ye rachan aapki bahut sunder lagi bilkul aapbiti ajsi hai

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भारती’

vallabh said...

बेहतरीन रचना... बधाई...