"अपना तो बस अपना है"
चाहे तुम कितना झुठलालो,
अपना तो बस अपना है।
कुछ भी कर लो ख़ुशी मना लो ,
पर अपनों की याद न छूटे,
अपनों से कितना भी रूठो ,
अपनों के साथ ही रुचे।
अपने देश की बात क्या कहना,
पास अगर तो मोल न समझें,
दूर हुए तो मन भर आये ,
उसकी मिट्टी को भी तरसें ।
-कुसुम ठाकुर -
4 comments:
nice one i liked it keep it up
bahut barhia... isi tarah likhte rahiye
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mithilak gap maithili me
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अपने देश की बात क्या कहना,
पास अगर तो मोल न समझें,
दूर हुए तो मन भर आये ,
उसकी मिट्टी को भी तरसें
अपनों और अपनी मिट्टी से दूर होने के एहसास को आपने बखूबी बयां किया है। यदि मैं तुकबंदी करूँ तो-
नैनों में बादल छा जाये
अपनों खातिर नैना बरसे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
धन्यवाद, बिनोद जी , हितेंद्र जी और सुमन जी।
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