मुझे आज मेरा वतन याद आया

मुझे आज मेरा वतन याद आया

मुझे आज मेरा वतन याद आया।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
 मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि,
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे तो सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।


छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
 मजबूरी अब तो निकल न सकूँ मैं,
करुँ अब मैं क्या मैं तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई, उधर मौत का डर ।
मुझे आज ............................... ।


बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
है जोड़ना अब कफ़न के लिए भी ।
काश, गज भर जमीं बस मिलाता वहीँ पर ,
मुमकिन मगर अब तो वह भी नहीं है ।
मुझे आज ................................ ।


साँसों में तो वह सदा से रहा है ,
मगर ऑंखें बंद हों तो उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम  निज वतन की जमीं पर ।
मुझे आज .................................. ।

-कुसुम ठाकुर-


4 comments:

vikram7 said...

आज मुझे मेरा वतन याद आया ।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
पर मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि ।
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे सदा काट खाए ।
आज मुझे ....................

बहुत ही खूबसूरत गीत

Anonymous said...

आज मुझे मेरा वतन याद आया...

सुन्दर रचना .

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

भाव अच्छे हैं।
निरन्तर लिखती रहोगी तो
छन्द भी सवँरने लगेंगे।
बधाई!

Kusum Thakur said...

आप सबों का प्रतिक्रिया और सुझाव के लिए आभार।