कैसे बीते दिन



कैसे बीते दिन कैसी है रातें 
हम किस तरह से कहे मन की बातें 
कैसे  बीते दिन...................
कहे उनसे कोई है लंबी ये रातें 
करवटें बदल रही है थकती निगाहें 
कैसे बीते दिन....................
वो जन्मों की कसमे यादों में आये
रही मन में कसकें न वादे निभाए 
कैसे बीते दिन ...................
ढूंढें निगाहें अब भी वो चाहे
वो नज़रों का मिलना कैसे भुलाएं 
कैसे बीते दिन .....................
अंजुम निहारें है कोई क्या उनसा
मगर मिल न पाए जो उनसे हो मिलता 
कैसे बीते दिन ..........................