आज एक ऐसे व्यक्ति का जन्मदिन है जिसके साथ का एहसास मेरे जीवन में बहुत महत्व रखता है । जो मुझे १५ वर्ष की उम्र में मिला और २३ वर्षों में जन्मों का स्नेह दिया ।
एक अद्भुत कलाकार , एक हंसमुख इंसान , मातृ -भक्त , एक सफल पिता और पति । ऐसा व्यक्ति जो हर रिश्ते की अहमियत जानता हो और उसे बखूबी निभाए, बहुत कम देखने को मिलते हैं।
एक प्रश्न का जवाब मुझे आज तक नहीं मिल पाया है । किसी का जन्मदिन या शादी की वर्षगाँठ उसके नही रहने पर से ख़ुशी क्यों नहीं मनाते ? क्या उस दिन दुखी होना लाजमी है ? वह व्यक्ति यदि आपका प्रिय है तो वह व्यक्ति रहे न वह दिन आपके लिए शुभ ही होगा । क्यों न उस शुभ दिन को ख़ुशी से मनाया जाय ? उसकी यादों को यादगार बनाया जाय ।
मेरी आज की रचना मेरे पति श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर को समर्पित है जिनका आज जन्मदिन है। जो कहने को तो मेरे पास नहीं हैं, पर उन्हें मैं सदा अपने पास ही महसूस करती हूँ ।
एक अद्भुत कलाकार , एक हंसमुख इंसान , मातृ -भक्त , एक सफल पिता और पति । ऐसा व्यक्ति जो हर रिश्ते की अहमियत जानता हो और उसे बखूबी निभाए, बहुत कम देखने को मिलते हैं।
एक प्रश्न का जवाब मुझे आज तक नहीं मिल पाया है । किसी का जन्मदिन या शादी की वर्षगाँठ उसके नही रहने पर से ख़ुशी क्यों नहीं मनाते ? क्या उस दिन दुखी होना लाजमी है ? वह व्यक्ति यदि आपका प्रिय है तो वह व्यक्ति रहे न वह दिन आपके लिए शुभ ही होगा । क्यों न उस शुभ दिन को ख़ुशी से मनाया जाय ? उसकी यादों को यादगार बनाया जाय ।
मेरी आज की रचना मेरे पति श्री लल्लन प्रसाद ठाकुर को समर्पित है जिनका आज जन्मदिन है। जो कहने को तो मेरे पास नहीं हैं, पर उन्हें मैं सदा अपने पास ही महसूस करती हूँ ।
" कहूँ याद करती "
सारी रस्में निभाने की चाहत गज़ब थी ।
तुमको मगर मैं तो भूली ही कब थी ?
है बाहर समझ से करूँ याद क्यों मैं ?
उन यादों के मंज़र से निकली ही कब थी ?
बंद आँखों से देखूं तो मिलता सुकूँ है ।
मिला जो मुझे उसकी चाहत ही कब थी ?
तेरी परछाइयों से भी उल्फत है मुझको ।
यूँ भी बेज़ार तुमसे हुई मैं ही कब थी ?
याद तेरी जो दिल में इनायत से कम क्या ?
याद करती कुसुम जिसे भूली ही कब थी ?
- कुसुम ठाकुर -
16 comments:
Bahut hi maarmik, atma-prem ko ujaagar karati abhivyakti...
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बेहद मार्मिक रचना लगी । दिल को छू लिया आपने ।
याद तेरी जो दिल में इनायत से कम क्या ?
याद करती कुसुम जिसे भूली ही कब थी ?
भुलाया भी नही जा सकता प्रिय को,
लल्लन जी के जन्मदिवस पर मेरा सादर नमन
आपके सोच से सहमत हूँ। क्या हुआ जो कोई इस संसार में अब न हो, यह दिन तो सदा याद आएगा ही और अपने साथ ढेरों अच्छी मीठी यादें भी लाएगा।
घुघूती बासूती
आपके अहसासों में तो हरदम बसते रहेंगे..
श्री लल्लन ठाकुर जी को नमन!
तेरी परछाइयों से भी उल्फत है मुझको ।
परछाईयाँ भी अक्सर राह दिखाते हैं
बहुत सुन्दर रचना
नमन लल्लन ठाकुर को
behtreen jazba..........sach kaha yaad to use kiya jata hai jise bhoole hon jo apna hi hissa ho use kaise koi bhool sakta hai........bahut hi marmik.
aap aadhunik savitri hai. lallan ji gaye kahaan..? unhe to aap vapas lekar aa gayi hai. ve aapke dil me bas gaye hai. ham sab k beech hai rachanaaon k madhyam se..sarthak rachana k liye badhai aapko.
कविता इतनी मार्मिक है कि सीधे दिल तक उतर आती है।
लल्लन जी के जन्म दिवस पर सादर नमन
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
याद तेरी जो दिल में इनायत से कम क्या ...इतनी शिद्दत से जिसे याद किया ...बात उस तक पहुंचेगी जरुर... आपके हौसले को नमन ...!!
मिथिला पुत्र को जन्मदिवस पर नमन.
मेरी यादों में शामिल होने के लिए आप सभी का आभार !!
कल वीर जी गौतम भईया से इनके विषय में सुना और आज इधर आई तो आपके यादो के गलियारे में पाया।
अब कोशिश करूगी कि आती रहूँ....!
कंचन जी बहुत बहुत धन्यवाद !!
Your blog braught tears in my eyes today....It is just unbelievble...You are one of those few lucky people who understand the meaning of Love.
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