मुझे आज मेरा वतन याद आया
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि,
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे तो सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।
छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
मजबूरी अब तो निकल न सकूँ मैं,
करुँ अब मैं क्या मैं तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई, उधर मौत का डर ।
मुझे आज ............................... ।
बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
है जोड़ना अब कफ़न के लिए भी ।
काश, गज भर जमीं बस मिलाता वहीँ पर ,
मुमकिन मगर अब तो वह भी नहीं है ।
मुझे आज ................................ ।
साँसों में तो वह सदा से रहा है ,
मगर ऑंखें बंद हों तो उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम निज वतन की जमीं पर ।
मुझे आज .................................. ।
-कुसुम ठाकुर-
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि,
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे तो सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।
छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
मजबूरी अब तो निकल न सकूँ मैं,
करुँ अब मैं क्या मैं तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई, उधर मौत का डर ।
मुझे आज ............................... ।
बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
है जोड़ना अब कफ़न के लिए भी ।
काश, गज भर जमीं बस मिलाता वहीँ पर ,
मुमकिन मगर अब तो वह भी नहीं है ।
मुझे आज ................................ ।
साँसों में तो वह सदा से रहा है ,
मगर ऑंखें बंद हों तो उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम निज वतन की जमीं पर ।
मुझे आज .................................. ।
-कुसुम ठाकुर-