"बस रहो तुम सदा मुस्कुराते हुए "
रहो तुम सदा मुस्कुराते हुए
यही एक तमन्ना, यही आरजू
कुछ कहूँ मैं तुम्हें तो सच मान लो ,
करो विश्वास हर मोड़ पर ।
मुझे अपने से ज्यादा भरोसा अगर ,
तुम पर ही है, यह मान लो
तुम जो भी कहो सिरोधार्य है,
कुछ प्रमाणित करो न यही मैं कहूँ
तुम कहते सदा मैं खुली हुई किताब ,
देर किस बात की, पढ़ लो मुझे
तुम चाहो अगर, पूछ सकते मुझे ,
मैं व्याख्या करूँ ,हर एक प्रश्न का ।
- कुसुम ठाकुर -
11 comments:
तुम कहते सदा, मैं खुली हुई किताब ,
फिर देर किस बात की, पढ़ लो मुझे ।
bahut khoob
सुंदर और स्पष्ट अभिव्यक्ति .. आपकी रचना अच्छी लगी !!
बहुत ही खूब...!हम किसी के बारे में इतना अच्छा सोचते है.शायद यही प्यार है..
सुंदर कविता।
हमारी भी यही कामना है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
ek sundar rachana .......dil ke har ek kone jhankrit kar gayi
तुम कहते सदा, मैं खुली हुई किताब ,
फिर देर किस बात की, पढ़ लो मुझे ।
बेहतरीन भावो का एहसास और सुन्दर कविता
बहुत उम्दा भाव!!
बहुत खूब!
घुघूती बासूती
प्रतिक्रिया के लिए आप सभी का आभार .
" bahut hi badhiya rachana "
---- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
तुम कहते सदा मैं, खुली हुई किताब ,
फिर देर किस बात की, पढ़ लो मुझे ।
तुम चाहो अगर, पूछ सकते मुझे ,
मैं व्याख्या करूँ ,हर एक प्रश्न का ।
bahut sundar...
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