"दिल की बातें "
कहना चाहूँ दिल की बातें ,
पर कहूँ कैसे उसे ,
जिसे न है ख़ुद की ख़बर ,
वो करे कैसे परवाह मगर।
चाहूँ तो कहना बहुत कुछ ,
कहूँ कैसे समझ ना सकूँ ,
नयन तो फ़िर भी हैं उद्यत ,
पर होठ हिलते नहीं ।
हो गयी मुद्दत कि मैंने ,
दिल की कही अब छोड़ दी ,
शब्द तो लेतीं हिलोरें ,
पर कलम उठते नहीं ।
लेखनी तो ली हाथों में ,
पर शब्द जँचते नहीं ,
शब्दों की बंदिश न भाती ,
है मूक भावना मेरी।।
- कुसुम ठाकुर -
12 comments:
लेखनी तो ली हाथों में ,
पर शब्द जँचते नहीं ,
लेखनी को शब्द जँचने लगे तो नए शब्द कहाँ से आयेंगे
बहुत सुन्दर
दिल की बातें तो सुंदर होती ही हैं। बधाई।
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बोटी-बोटी जिस्म नुचवाना कैसा लगता होगा?
कई बार अभिव्यक्ति की राह में शब्दों की असमर्थता आड़े आ जाती है । क्या करें ?
प्रविष्टि का आभार ।
कहना चाहूँ दिल की बातें ,
पर कहूँ कैसे उसे ,
जिसे न है ख़ुद की ख़बर ,
वो करे कैसे परवाह मगर।
behad khubsurat ...badhai
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogspot.com
dil ki bat bahut hi sundar rachana lekar hazir hui hai........achchhi lagi .......
दिल की बातों को भावनाओं के साथ कलम या की बोर्ड के सहारे उतार दें कागज या ब्लाग पर । समस्या समाप्त
आइये कभी http://chokhat.blogspot.com/
पर भी
भावना अनुरूप शब्द संधान, वास्तव में बड़ा ही दुष्कर कार्य है....
परन्तु आपकी यह भावाभिव्यक्ति बहुत ही सुन्दर लगी.
सुन्दर अभिव्यक्ति
बहुत खूबसूरती से अपने मन की बात कह दी है। वैसे तो कई गहरी बातें हैं लेकिन जब आपकी इन पंक्तियों को पढ़ रहा था कि -
चाहूँ तो कहना बहुत कुछ ,
कहूँ कैसे समझ ना सकूँ ,
नयन तो फ़िर भी हैं उद्यत ,
पर होठ हिलते नहीं ।
तो अपनी लिखी ये पंक्तियाँ याद आ गयीं-
भला बेचैन क्यों होता, जो तेरे पास आता हूँ
कभी डरता हूँ मन ही मन, कभी विश्वास पाता हूँ
नहीं है होंठ के वश में जो भाषा नैन की बोले
नैन बोले जो नैना से, तरन्नुम खास गाता हूँ
सादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
आपकी प्रतिक्रियाओं से हमें नयी ऊर्जा मिलाती है। बहुत बहुत धन्यवाद !!
लेखनी तो ली हाथों में ,
पर शब्द जँचते नहीं ,
par aapke shabd hamein to bahut janch rahe hain..
इस दिल की बातों को सुन कर अच्छा लगा!! अब तो दिल की कहने दिल की सुनाने आना ही पडेगा !!!
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