वे लम्हें

"वे लम्हें "


वे लम्हें भूले नहीं जाते ,
वे वादे चाहूँ भी न भूलूँ ।
पर यह कैसी मजबूरी ,
चाहकर, पाऊँ भी न तुमको ।

खुली हुई आँखों में तुम हो ,
बंद आँखों में भी बसा लूँ ।
व्याकुल हो ढूँढूँ मैं जब जब ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।

नैनो की भाषा भी तुम हो ,
चाहत की परिभाषा भी यही पर ,
सोचूँ तो लगे सपना सा ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।

अंसुवन की धार भी तुम हो ,
अंजन और श्रृंगार तुम्ही हो ।
पर करूँ कितना भी जतन मैं ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।




-कुसुम ठाकुर -

13 comments:

sudhakar soni,cartoonist said...

virah vedna ko bakhubi darshati kavita

Udan Tashtari said...

भाव बढ़िया है...

वे लम्हें भूली नहीं जातीं ....वे लम्हें भूले नहीं जाते....जैसी भटकनें खटकीं. देखियेगा. विचेदन मात्र है.

मूल भाव बहुत बेहतरीन हैं.

Kusum Thakur said...

धन्यवाद भूलें बताने के लिए ....

ओम आर्य said...

उन लम्हो का जबाव नही है ......आपके भाव बहुत ही सुन्दर होते है जैसे प्रकृति होती है वैसी ही भाव से सनी होती है आपकी रचनाये ......अतिसुन्दर!!!!!!!!!

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अंसुवन की धार भी तुम हो ,
अंजन और श्रृंगार भी तुम हो ।
पर करूँ कितना भी जतन मैं ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।
bahut sundar panktiya ahi,badhai

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

अंसुवन की धार भी तुम हो ,
अंजन और श्रृंगार भी तुम हो ।
पर करूँ कितना भी जतन मैं ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।
bahut sundar panktiya ahi,badhai

रंजना said...

आपके इस विरहगीत ने हमें भावुक कर दिया..........

Kusum Thakur said...

धन्यवाद!!! आप सबों का स्नेह देखकर मैं भी भावुक हो गयी हूँ .....

Ambarish said...

खुली हुई आँखों में तुम हो ,
बंद आँखों में भी बसा लूँ ।....

bahut khoob..
waise iska ulta jyada pasand hai mujhe..

बंद आँखों में तुम हो ,
खुली आँखों में भी बसा लूँ ।

aapko kaisa laga.. jaroor batana..

http://ambarishambuj.blogspot.com/

ज्योति सिंह said...

वे लम्हें भूले नहीं जाते ,
वे वादे चाहूँ भी न भूलूँ ।
पर यह कैसी मजबूरी ,
चाहकर, पाऊँ भी न तुमको ।
bahut sundar panktiyaan .

ghughutibasuti said...

बहुत सुन्दर. जीवन सच में कुच्ह लमहों के इर्द गिर्द ही घूमता रह जाता है.
घुघूती बासूती

Randhir Singh Suman said...

खुली हुई आँखों में तुम हो ,
बंद आँखों में भी बसा लूँ ।
व्याकुल हो ढूँढूँ मैं जब जब ,
चाहकर पाऊँ भी न तुमको ।.nice

Tulsibhai said...

" wah ! bahut hi bhavpurn aur behad hi rochak "

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com