मेरे भाव मेरी अभिव्यक्ति
मेरे भाव कुछ भी हों ,
पर अभिव्यक्त मैं, न कर पाती ।
ऐसा क्यों होता मेरे साथ ,
यह समझ न पाऊं मैं।
भाव तो होते मेरे नेक ,
पर अभिव्यक्ति में ही दोष ।
अब मैं कैसे समझाऊँ ,
जो हो उनको यकीन ।
मैं तो सोच समझकर बोलूँ ,
जो न लगे अप्रिय उन्हें ।
पर त्रुटि तो रह ही जाती ,
मैं भी मानूँ , हूँ मैं इंसान ।
मेरे अंतर्मन की भाषा ,
समझ न पाए, यह मेरा कसूर ।
मैं कैसे उन्हें कष्ट पहुँचाऊँ ,
जिनपर मैं करूँ सदा यकीन।
-कुसुम ठाकुर -
6 comments:
मैं तो सोच समझकर बोलूँ ,
जो न लगे अप्रिय उन्हें ।
पर त्रुटि तो रह ही जाती ,
मैं भी मानूँ ,मैं हूँ इंसान ।
सही कहा आपने...बहुत शाशाक्त अभिव्यक्ति की है अपने भावों की...बधाई...
नीरज
भाव तो होते मेरे नेक ,
पर अभिव्यक्ति में ही दोष ।
अब मैं कैसे समझाऊँ ,
जो हो उनको यकीन ।
bahut acchaa likha hai aapne !
" dil se agar kuch likhe to natiza aisi adbhut abivyakti ke roop me ubhar aata hai ....aapko aisi sunder rachana ke liye badhai "
----- eksacchai{ aawaz}
http://eksacchai.blogspot.com
http://hindimasti4u.blogpost.com
बहुत सुन्दर रचना है बधाई
आप सभी का प्रतिक्रिया के लिए आभार ।
बहत अच्छी और चिन्तनशील रचना!!!!!!!!!
ििकरण राजपुराेिहत ििनितला
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