"वह जन्मदिन है याद मुझको"
वह जन्मदिन है याद मुझको आज भी
खबर आयी माँ कहे सौगात भी
थी नहीं मुझको खबर पहले कभी
सूचना मुझको मिली थी बस तभी
मूंद कर मैं नैन माँ की गोद में थी
सुन रही थी माँ बड़ों की बात भी
स्वच्छंदता में विघ्न का न भान था
और न कर्तव्य का कुछ ज्ञान भी
प्रेम माता, भाई-बहनों तक रहा
और से हो प्रेम न था ज्ञात भी
सोच में तब पड़ गयी क्या हो मेरा
हर सखी पूछेगी तब जज़्बात भी
देखने आयी तो थी बारात ही
क्या पता मेंहदी रचेगी हाथ भी
देख गहने खुश हुई सब भूलकर
हाथ मेहँदी रच गई उस प्रात भी
मैं न समझी प्रेम उनसे क्यों करूँ
प्रेम में थी किन्तु इक सौगात भी
© कुसुम ठाकुर
2 comments:
वाह, बहुत खूब
वाह! बहुत सुंदर।
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