और एक प्यास है मन


मेरी आज की रचना उस ख़ास व्यक्ति के लिए जिसने मुझे इस काबिल बनाया कि मैं मन में आये भावों को आज शब्दों में अभिव्यक्त कर सकूँ .

"और एक प्यास है मन"

ऐ चाँद तुमसे पूछूं, फिर क्यूँ उदास है मन
कहने को दूर तन से, पर उनके पास है मन

किस हाल में है प्रीतम, सन्देश कैसे भेजूं
दिल में तड़प मिलन की, और एक प्यास है मन

पूनम की लम्बी रातें, यादों में उनकी बातें
छू जातीं उनकी नज़्में, मेरा जो ख़ास है मन

अब रागनी कहाँ वो, जो गीत गुनगुनाऊं
यादों में उनका आना, मुखरित सुहास है मन

आँखें छलक रहीं हैं, पर मुस्कुराता चेहरा
कुम्हलाये ना कुसुम का, हरदम सुवास है मन

-कुसुम ठाकुर-

11 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत बहुत सुंदर ..

Kusum Thakur said...

धन्यवाद !!

RADHIKA said...

बहुत सुंदर ...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
आपकी प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (14-07-2012) के चर्चा मंच पर लगाई गई है!
चर्चा मंच सजा दिया, देख लीजिए आप।
टिप्पणियों से किसी को, देना मत सन्ताप।।
मित्रभाव से सभी को, देना सही सुझाव।
शिष्ट आचरण से सदा, अंकित करना भाव।।

Dr.Ashutosh Mishra "Ashu" said...

behtareen rachna...sadar badhayee ke sath

रविकर said...

करे प्रगट कृतज्ञता, कुसुम चढ़ाए भाव ।

हृदय-पटल पर आज भी, अंकित अमित प्रभाव ।।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत खुबसूरत....

Unknown said...

बेहद सुन्दर भाव लिए खुबसूरत रचना है.
क्या लिखा है आपने.बस बार बार पढता ही चला गया.
मै आज ही यहाँ आया और आकर यहीं पर खो गया.


मोहब्बत नामा
मास्टर्स टेक टिप्स

मन के - मनके said...

सुभास है मन—मन ना होता तो अहसास ना होता,
ये खूबसूरत प्यार ना होता.

devesh said...

I think the words are insufficient to measure the depth of your"mun"

pratibha said...

मैंने अबतक आपकी जितनी कविताएं पढ़ी हैं, उनमें यह सर्वश्रेष्छ है। बधाई हो।