हरएक आँख में नमी


"हरएक आँख में नमी"


लगे अमन की कमी इस खूबसूरत जहाँ में
बँटी हुई क्यों जमीं  इस खूबसूरत जहाँ में

कर्म आधार था जीने का कैसे जाति बनी 
हरएक आँख में नमी इस खूबसूरत जहाँ में

जहाँ पानी भी अमृत है, बोल कडवे क्यों  
गंग की धार भी थमी इस खूबसूरत जहाँ में

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर 
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में

यूँ तो मालिक सभी का एक नाम कुछ भी दे दो  
कुसुम बने न मौसमी इस खूबसूरत जहाँ में

-कुसुम ठाकुर-

16 comments:

Sunil Kumar said...

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में
khubsurat sher mubarak ho......

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में
--
ग़ज़ल के सभी अशआर बहुत खूबसूरत हैं!

मनोज कुमार said...

बदल रहे समय का स्पष्ट प्रभाव दर्शाती ख़ूबसूरत ग़ज़ल!

अरुण चन्द्र रॉय said...

ख़ूबसूरत ग़ज़ल!

Amit Chandra said...

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में

शानदार।

Arun sathi said...

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में

अति सुन्दर,

विवेक रस्तोगी said...

आरक्षण पर लिखी एक बेहतरीन कविता ।

Gyan Darpan said...

शानदार
way4host

संजय भास्‍कर said...

,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति

संजय भास्‍कर said...

मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

कर्म आधार था जीने का कैसे जाति बनी
हरएक आँख में नमी इस खूबसूरत जहाँ में

बहुत उम्दा ग़ज़ल....
सादर...

रचना दीक्षित said...

सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में.

खूबसूरत अशआर ने दिलकश गज़ल को जन्म दिया है. बधाईयाँ.

vidhya said...

खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति

रजनीश तिवारी said...

बहुत खूबसूरत रचना ... कुसुम बने न मौसमी इस खूबसूरत जहाँ में

Sawai Singh Rajpurohit said...

बहुत ही सुन्दर

ब्लॉग की 100 वीं पोस्ट पर आपका स्वागत है!

!!अवलोकन हेतु यहाँ प्रतिदिन पधारे!!

tips hindi me said...

कुसुम ठाकुर जी,
नमस्कार,
आपके ब्लॉग को "सिटी जलालाबाद डाट ब्लॉगपोस्ट डाट काम" के "हिंदी ब्लॉग लिस्ट पेज" पर लिंक किया जा रहा है|