" सुख औे दुुख "
सुख औ दुःख
जीवन के दो पाट
तो गम कैसा
चलते रहो
हौसला ना हो कम
दूरियाँ क्या है
लक्ष्य जो करो
ज्यों ध्यान तुम धरो
मिलता फल
हार ना मानो
ज्यों सतत प्रयास
मंजिल पाओ
कर्म ही पूजा
उस सम ना दूजा
कहो उल्लास
ध्यान धरो
बस मौन ही रहो
पाओ उल्लास
- कुसुम ठाकुर -
11 comments:
बहुत सुन्दर रचनाएं.....
गागर में सागर भरना इसे ही कहते हैं ........
यह हायकू खूब जमा
चलते रहो
हौसला ना हो कम
दुरियाँ क्या है
5-7-5 के फोर्मेट में बहुत करीने से बात कह डाली आपने...बधाई.
एक-एक हाइकु जीवन जीने का मंत्र है।
जीवन को दिशा देनी हो तो ये पढना चाहिये…………बहुत ही सुन्दर्।
…बहुत ही सुन्दर्.
बधाई.
kusum ji...g8 job! :)
हार ना मानो
ज्यों सतत प्रयास
मंजिल पाओ
कर्म ही पूजा
उस सम ना दूजा
कहो उल्लास
बिल्कुल सच्ची और अच्छी बातें ...
बहुत खूब ||
great poem!
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है ! उम्दा प्रस्तुती!
सभी ब्लॉगर साथियों का उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद !!
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