यह सोच मैं हूँ हैरान


" यह सोच मैं हूँ हैरान "


बहुत कठिन है साथ में हँसना ,
और किसी की खातिर रोना ,
सँग सँग जीवन पथ पर
फिर भी , चलना है आसान ,
यह सोच मैं हूँ हैरान ।


महल से न कम घर होगा ,
क्या सोची थी यह कब होगा ?
जीवन की सच्चाई का तब ,
क्यों नहीं मुझे था भान ,
यह सोच मैं हूँ हैरान ।


जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
किसकी बारी कब आएगी ,
इसका न हुआ कभी ज्ञान
यह सोच मैं हूँ हैरान ।।


- कुसुम ठाकुर -

16 comments:

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
किसकी बारी कब आएगी ,
इसका न हुआ कभी ज्ञान

शाश्वत सत्य है जग का
इसको ही लो जान,
किसकी बारी कब आएगी
ये जानेगा भगवान.

Anonymous said...

जीवन की इस धूप-छाँव का है मुनीम भगवान
बही उसी के पास है सब खातों पर ध्यान

daanish said...

jeevan-darshan ko
qreeb se samjhaati huee
kaamyaab rachnaa
mn ki kash.m.kash
aur
zindgi ki sachchaaee
dono ka chitran....waah !

अजय कुमार झा said...

सरलता से कही गई बहुत बडी बात .............बहुत ही प्रभावित करने वाली रचना ..शुक्रिया
अजय कुमार झा

M VERMA said...

जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
धूप छाव का ही तो खेल है यह जीवन
सुन्दर रचना

pushpa said...

bahut acchi kabita hai....
kaash ye pata hota sabko kiski baari kab aayegi...........
hajaro kabita ki tarah ye bhi apne aap mai alag hai..........

vandana gupta said...

जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
किसकी बारी कब आएगी ,
इसका न हुआ कभी ज्ञान
यह सोच मैं हूँ हैरान ।।

बस यही एक चीज़ तो भगवान ने अपने हाथ मे रखी है………………॥बहुत ही गहरे भाव भरे है कविता में

संजय भास्‍कर said...

धूप छाव का ही तो खेल है यह जीवन
सुन्दर रचना

विजयप्रकाश said...

बहुत बढ़िया...भोले भाले प्रश्न, कठिन उत्तर

dipayan said...

सच है, दुनिया मे हर शै का हिसाब इश्वर रखता है और उन्ही की हाथों मे हम सब का भाग्य हैं । प्रश्न सरल है मगर भाव गंभीर । सुन्दर रचना ।

indian citizen said...

प्रश्न बहुत कठिन हैं या कहिये कि उत्तर.

रानीविशाल said...

Bahut sundar rachana....Dhanywaad!

नीरज गोस्वामी said...

जीवन की कडवी सच्चाइयों को कविता में बहुत ख़ूबसूरती से आपने ढाला है...मेरी बधाई स्वीकारें
नीरज

Tulsibhai said...

जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
किसकी बारी कब आएगी ,
इसका न हुआ कभी ज्ञान
यह सोच मैं हूँ हैरान ।।
ye bahut hi badhiya lines hai dil jeet liya in alfazoan ne

----- eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

My Insight said...

JUST MESMORISEING............

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