बचपन

" बचपन "

याद मुझे बच्चों का बचपन ,
और याद उनका भोलापन ।
भाते थे उनका तुतलाना ,
और सदा उन्हें बहलाना ।

बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे।
चाहूँ बस स्मृतियों में वैसे ,
संचित कर रख पाऊँ कैसे।

सोच सोच मैं सुख पाऊँ
बिन सोचे न रह पाऊँ
नैनों को बस भरमाऊँ
और स्वयं ही मुस्काऊँ

- कुसुम ठाकुर -

13 comments:

सदा said...

बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे !

बहुत ही भावमय प्रस्‍तुति ।

सदा said...

बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे !

बहुत ही भावमय प्रस्‍तुति ।

समयचक्र said...

बहुत भावपूर्ण रचना ....

rashmi ravija said...

सच ऐसे ही गुजर जाता है,बच्चों का बचपन,वो रूठना,मचलना,तुतलाना....जैसे हमने पल भर को आँखें मिंची हों...बहुत ही सुन्दर रचना

नीरज गोस्वामी said...

आपकी पोस्ट पढ़ कर दो पुराने फ़िल्मी गीत याद आ गए... "भला था कितना अपना बचपन...भला था कितना..." और " बचपन के दिन...बचपन के दिन भी क्या दिन थे...उड़ते फिरते तितली संग...
नीरज

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे ।
Bahut sundar !

श्यामल सुमन said...

नैनों में खुद को भरमाकर किया है बचपन याद।
हो मुस्कान कसुम के मुख पर सुमन करे फरियाद।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी रचना, बधाई स्वीकारें।

Unknown said...

kyaa baat hai bachpan ki ?

bachpan ki yaaden zindgi ka sabse bada sarmaaya hai !

SomeOne said...

बहुत ही बढ़िया रचना है !

निर्मला कपिला said...

बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे ।
कुसुम जी सच मे सब कल की बातें लहती हैं । बहुत अच्छी रचना है बधाई

संजय भास्‍कर said...

बहुत अच्छी रचना, बधाई स्वीकारें।

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......


संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com