"भड़ास "
राज बाल की हिम्मत को
दिया चुनौती कईयों ने
पत्रकार तो पत्रकार
चिट्ठाकार भी कम नहीं
पत्रकारों ने बिक्री बढ़ाई
अखबार और पत्रिकाओं की
दूरदर्शन ने टी आर पी बढ़ाई
नेताओं के झूठे मंतव्यों से
फिर चिट्ठाकार क्यों पीछे रहें
हमने अपने चिट्ठों से
राज बाल के मंतव्यों के
बिना जड़ों को दिखाए हुए ही
सुशोभित किया अपने ब्लोगों को
कुछ चिट्ठाकार न रच पाए तो
उन्हें भी अफ़सोस नहीं
निकाल दिया अपनी भडास को
प्रतिक्रिया देकर चिट्ठों पर ।।
- कुसुम ठाकुर -
12 comments:
वर्तमान हालात पर चोट करती आपकी रचना अच्छी लगी।
गलत बहुत अभियान है जो करते हैं राज।
उनके पीछे चल पड़े माननीय शिवराज।।
सादर
श्यामल सुमन
099553732
www.manoramsuman.blogspot.com
Jee.....
system ke har pahlu ko ujaagar karti ek sashakt kavita......
Thanx..... for sharing....
सही हड़काया आपने चचा राज को।
आपने सामयिक विषय पर सही प्रतिक्रिया व्यक्त की है। सटीक आभार
Very Nice Poem Aunty.
It point out very well, people using the medium to sell and sensationalize.
Regd,
Naveen Jaiswal
बहुत खूब,
सही चोट, सही मायने में भड़ास.
आपके सी कविता को साभार भड़ास पर डाल रहा हूँ.
बधाई
बहुत खूब, बहुत सही लिखा है आपने। आपने छोटी सी रचना में बहुत कुछ समेट लिया है । बधाई
" bahut hi saccchai bhari baat ki.... hum MEDIAWALO ko bhi nahi choda aapne behtarin ...sacchai bhari rachana aaj ke halat per "
" aapko bahut bahut badhai "
----- eksacchai { AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com
सही कहा आपने...आज के हालात पर अच्छी और सच्ची रचना...बधाई...
नीरज
आप सभी साथियों को बहुत बहुत धन्यवाद !!!
रजनीश जी आपने मेरे "भड़ास" को "भड़ास" पर पोस्ट किया इसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!
kash apki yah awaaz thakare bandhu taak pahuche aur wo iss desh ko batane ke kaam se tauba kare. apka unko jawab dene ka andaaz nirala hai..........maza aya.....
sunder aap ka blog padha acha laga ................!
Post a Comment