गाते रहो मुस्कुराते रहो


"गाते रहो मुस्कुराते रहो"

तुम गाते रहो मुस्कुराते रहो 
जिन्दगी के सफ़र में लुभाते रहो 

कट जाए सफ़र तो हर हाल में 
सुख-दुःख को गले से लगाते रहो 

तुम बेसहारा खुद हो मगर 
बेसहारों का हाथ बंटाते रहो

ये दुनिया है माना बहुत मतलबी 
दूर रहकर भी उनसे निभाते रहो 

लोग पाहन की पूजा भी करते जहां 
नफरतों को ह्रदय से मिटाते रहो

-कुसुम ठाकुर-

2 comments:

Shalini kaushik said...

लोग पाहन की पूजा भी करते जहां
नफरतों को ह्रदय से मिटाते रहो
very nice .

अजय कुमार झा said...

सुंदर भाव , सरल शब्दों से रचित प्रभावी रचना