हार मिले न हार बिना

 

"हार मिले न हार बिना "

सूना जीवन प्यार बिना 
नीरस होता यार बिना  

कला नहीं जीवन जीने की    
पर पलता व्यवहार बिना  

दिल में उपजे प्रणय-भाव पर 
यह सजता अभिसार बिना 

आशा हो पर ना हो बन्धन 
हार मिले न हार बिना  

कठिन बाँधना कुसुम प्रेम को  
बढ़ता नित उपहार बिना 

- कुसुम ठाकुर-  



8 comments:

Kusum Thakur said...

धन्यवाद!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर प्रस्तुति

श्यामल सुमन said...

वाह वाह - क्या बात है? कम शब्दों में बड़ी बात? बधाई हो कुसुम जी। आदतवश मैं भी कुछ जोड़ दूँ-

भाव गज़ल के सुमन मनोहर
लिखे कौन आधार बिना

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/

नीरज गोस्वामी said...

Bahut badhiya Kusum ji...waah..

girish pankaj said...

kusumji, pyari kavita likhane ke liye abhar. kam shabdon mey bada darshan diya hai aapne.

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

बहुत खुबसूरत....
सादर बधाई...

Arun said...

बहुत सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति हार मिले ना हार बिना।

अरूण

http://aroonk2011.blogspot.com/

गुड्डोदादी said...


कला नहीं जीवन जीने की
पर पलता व्यवहार बिना
(क्यों व्यवहार में हार
फिर भी जीने की तमन्ना