उल्फत न कहूँ तो ठीक नहीं


"उल्फत न कहूँ तो ठीक नहीं"

जब भूली ना उन लम्हों को, याद आए कहूँ तो ठीक नहीं
कह दूँ कैसे तुम रूठ गए, बेवफा कहूँ तो ठीक नहीं

डूबी रहती हूँ  खयालों में , ख़्वाबों को संजोया है दिल में
जब होश में आती हूँ सचमुच, उल्फत न कहूँ तो ठीक नहीं

क्या करूँ जो दिल ये माने ना, मजबूरी को भी जाने ना
जब तुम बसते हो साँसों में, दर्मियाँ कहूँ तो ठीक नहीं

जीवन के भाव नहीं वश में,गम खुशियों का ही संगम है
यादों के साये  में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं

कुसुम ने जीवन से सीखा, भाए ना शब्दों की बंदिश
न मिलन बिछोह समझ पाई, मजबूरी कहूँ तो ठीक नहीं


-कुसुम ठाकुर-

6 comments:

vandana gupta said...

जीवन के भाव नहीं वश में,गम खुशियों का ही संगम है
यादों के साये में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं

गज़ब के भावों को संजोया है…………शानदार प्रस्तुति।

deepti sharma said...

bahut hi damdar rachna
bahut khub

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

सुन्दर ख़यालात , मुबारक्बाद।

श्यामल सुमन said...

सुन्दर भाव से ओत-प्रोत रचना कुसुम जी - वाह। लीजिए मेरी तरफ से भी इसी तर्ज पे -

यह भाव कुसुम का देख सुमन, झाँका आँखों से अन्तर में
आतुर हैं दोनों मिलने को, मजबूरी कहूँ तो ठीक नहीं

सादर
श्यामल सुमन
+919955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

मुकेश कुमार सिन्हा said...

pahlee baar aapke blog pe pahucha..behatareen rachna...

मीनाक्षी said...

यादों के साये में जी कर, तन्हाई कहूँ तो ठीक नहीं..
कुछ पंक्तियाँ दिल को छू जाती है...

पहली बार आपके ब्लॉग पर आना हुआ..हाइकु भी बहुत अच्छे लिखे हैं...