जमशेदपुर भी अब बाकी शहरों की तरह असुरक्षित हो गया है. आये दिन हत्या, अपहरण की वारदातें सुनने को मिलती है. कभी डॉक्टरों की हत्या तो कभी बैंक अधिकारी का अपहरण.
अभी हाल में ही एक बैंक के अधिकारी का अपहरण हो गया, जिसे अपहरणकर्ता ने बाद में फिरौती की रकम वसूल कर छोड़ दिया.
बैंक अधिकारी घर जाने के लिए निकले ही थे कि किसी ने गाड़ी रोक जबरदस्ती गाड़ी में सवार हो गया और उन्हें जंगल की और ले गया. जंगल में ले जाने के बाद अपहरणकर्ता ने ५० हज़ार रकम की मांग रखी और कहा उसी समय मंगवाकर दे. पत्नी से फ़ोन द्वारा पैसे मंगवाने की जिद्द की तो अधिकारी को उस सुनसान जंगल में कुछ नहीं सूझा और उसने पत्नी को फ़ोन कर दी कि उसे ५० हज़ार की अभी तुरंत जरूरत है किसी से मांगकर भेजे. पत्नी के पूछने पर कि पैसा कौन ले जायेगा .....अपहरण कर्ताओं ने उस अधिकारी से कह्वाया उसके बैंक का एक आदमी जाकर ले आयेगा. पर पत्नी से ५० हज़ार का इंतजाम नहीं हो पाया. अब उस अधिकारी को अपहरणकर्ता ने जबरदस्ती अपने दोस्तों और परिचितों को फ़ोन द्वारा रुपैये मंगवाने की धमकी दी.
अधिकारी क्या करता उन्होंने बारी बारी अपने दोस्तों और सहकर्मियों को फ़ोन से पैसे का इंतजाम करने कहता. अंत में एक सहकर्मी ने इंतज़ाम किया और उसे उनके खाते में डाल दिया. जिसकी पुष्टि हो गयी तो अपहरणकर्ता अधिकारी को ले गया और ATM से रुपैये निकलवाकर ले लेने के पश्चात अधिकारी को घर जाने की अनुमति दे दी. कुछ दिनों बाद फिर उसका फ़ोन आया और ५० हज़ार की मांग फिर उस अपहरणकर्ता ने रखी और साथ में धमकी भी कि अगर पुलिस को बताया तो बीवी बचे को उठवा लेगा. कोई चारा नहीं देख उस अधिकारी ने फिर ५० हज़ार उसे दे दिया, पर इस बार अपहरण कर्ता को अपने इलाके में ही बुलाकर पैसे दी. साथ ही पैसे देने के बाद पुलिस में खबर कर दी और एफआईआर भी दर्ज करवा दिया.
दरअसल अपहरणकर्ता को बैंक अधिकारी पहचानता है. वह कभी बैंक से क़र्ज़ लेने के सिलसिले में अधिकारी के पास आया था. क़र्ज़ के नियमो के अनुसार उसे क़र्ज़ नहीं मिल पाया था. इस वारदात के बाद अधिकारी ने पुलिस को सारी बातें बता दी थी और पुलिस ने आश्वासन भी दिया था कि अपराधी अवश्य पकड़ा जायेगा. परन्तु एक महीने से ऊपर हो गया है अबतक अपराधी नहीं पकड़ाया है. पुलिस अधिकारी आश्वासन तो देते हैं.... पर अपहरणकर्ता अब फिर से पैसे कि मांग कर रहा है. पुलिस कहती है वह अपराधी फरार है...पुलिस उसे ढूंढ रही है.
दहशत में पूरा परिवार है... अब उनके पास विकल्प क्या है ? क्या हमारी निकम्मी पुलिस सक्षम नहीं है कि अपराधी को ढूढ़ निकाले या यहाँ भी अपराधी ने पैसे से मुंह बंद कर दिया है? कुछ वर्ष पहले जिस शहर की शांति से प्रभावित होकर कई लोग यहीं बस जाते थे आज वही शहर बिलकुल असुरक्षित होता जा रहा है.
एक तरफ अतिक्रमण को हटाया जा रहा है दूसरी तरफ नेताओं के इशारे पर उनके आदमी अतिक्रमण कर रहे हैं. हमारे देश की जनता कब जागेगी ?
1 comment:
इस पूरे देश का यही हाल होना है,
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