(आज एक समाचार पढ़ी जिसमे माँ पर अपनी ही बेटी के क़त्ल का इल्जाम था ....आज उसे जमानत मिल गई. मन में कुछ प्रश्न उठे... उसे मैं लिखने से अपने आप को नहीं रोक पाई. )
" हाइकु सजा "
माँ की सज़ा
पूछूं सच में बदा
वह व्यथित
शोक तो करे
किससे वह कहे
समझे कौन ?
बिदाई तो करे
सँग लांछन लगे
वह निश्छल
मिली जो सज़ा
बिसरे वह यदा
भरपाई क्या
दुनिया कहे
सब लाठी सहे
वह है तो माँ
- कुसुम ठाकुर -
8 comments:
बहुत संवेदनशील ...
Sach mein bahut sanvedansheel hai............really heart touching......
ओह!
सभी हृदय-स्पर्शी हाईकु!
सच कह दिया एक माँ के दिल का दर्द सिर्फ़ वो ही जान सकती है………………बेहद मार्मिक और संवेदनशील हाईकु।
बहुत संवेदनशील ..
... बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति है ।
बहुत खुबसूरत भाव ||
यह तो बढ़िया हाइकू है भाई
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