ये कैसी उल्फत जो हूँ दुखी मैं

" ये कैसी उल्फत जो हूँ दुखी मैं "  

तुम्हारी चाहत पर मर मिटी मैं
ये कैसी उल्फत जो हूँ दुखी मैं 

मुझे पता तब खता हुआ जब  
फिर कैसी रंजिश जो हूँ दुखी मैं 

मैं कैसे कह दूँ करूँ इबादत 
जफा मिले तो रहूँ दुखी मैं 

लगे तो रूह भी वफ़ा न जाने 
चाहूँ जो जन्नत रहूँ दुखी मैं 

ये कैसी चाहत ये कैसी उल्फत 
कुसुम ना समझे क्यों हूँ दुखी मैं

मिला है मुझको नेमत से कम क्या
फिर कैसी उलझन जो हूँ दुखी मैं  

- कुसुम ठाकुर -

15 comments:

vandana gupta said...

तुम्हारी चाहत पर मर मिटी मैं
ये कैसी उल्फत जो हूँ दुखी मैं
सुन्दर भाव संयोजन्………अच्छी रचना।

Andrew Wingett said...

Bahut khub likha aapne.....
मुझे पता तब खता हुआ जब फिर कैसी रंजिश जो हूँ दुखी मैं
nice ma'am...

राजू मिश्र said...

बहुत खूब लिखा है कुसुम जी आपने।

anuradha srivastav said...

बहुत खूब ..........

kunwarji's said...

बहुत खूब ..........

kunwar ji,

कविता रावत said...

ये कैसी चाहत ये कैसी उल्फत
कुसुम ना समझे क्यों हूँ दुखी मैं
...चाहत में अक्सर ऐसा हो जाता है....
मनोभावों की सुन्दर प्रस्तुति ...

M VERMA said...

कुसुम ना समझे क्यों हूँ दुखी मैं '
यही समझ में आ जाये तो बात ही क्या है.
सुन्दर रचना

ghughutibasuti said...

सुन्दर!
घुघूती बासूती

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब लिखा है कुसुम जी आपने।

Unknown said...

लगे तो रूह भी वफ़ा न जाने
चाहूँ जो जन्नत रहूँ दुखी मैं
wah
kusum
bahut gehri soch
satya bhi hai chahu jo jannat bhi naa paun mein ....wah

SACCHAI said...

मैं कैसे कह दूँ करूँ इबादत जफा मिले तो रहूँ दुखी मैं
लगे तो रूह भी वफ़ा न जाने चाहूँ जो जन्नत रहूँ दुखी मैं
ये कैसी चाहत ये कैसी उल्फत कुसुम ना समझे क्यों हूँ दुखी मैं

bahut hi shandar
badhai

----eksacchai {AAWAZ }
http://eksacchai.blogspot.com

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह ! बहुत सुन्दर !

Harshvardhan said...

bahut sundar rachna hai kusum ji.........

Akshitaa (Pakhi) said...

बहुत सुन्दर ...


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'पाखी की दुनिया में' पुरानी पुस्तकें रद्दी में नहीं बेचें, उनकी जरुरत है किसी को !

Kusum Thakur said...

आप सभी को प्रतिक्रया के लिए आभार !!