पूना में बहुत से अन्तराष्ट्रीय स्कूल हैं जिसकी वजह से बच्चों का बाहर के देशों से आना जाना लगा रहता है। अगस्त महीने में पूना में जब स्वाइन फ्लू का प्रकोप सामने आया और एक के बाद एक लोंगों की मृत्यु इस बीमारी से होने लगी तो आम नागरिकों के बीच एक दहशत सी फ़ैल गई । सरकार का
स्कूल , कॉलेज, सिनेमा घरों एवं शौपिंग मॉल का बंद करना आग में घी का काम कर गया । आम नागरिकों की मनोरंजन गतिविधियाँ जैसे थम सी गई।
इस सब के बावजूद
अच्छी बात यह है कि लोंगो में सफाई और स्वच्छता के प्रति जागरूकता बढ़ी । पर क्या आम जनता को यह ज्ञान है कि उन्हें कौन सी एहतियात बरतनी चाहिए ? सुन लिए मास्क लगाना चाहिए बस दौड़ पड़े मास्क लेने । पूरा शहर यदि जागरूक हुआ तो वह था मास्क के प्रति । मास्क की बिक्री बढ़ गई। कुछ अच्छे ब्रांड की तो काला बाजारी भी होने लगी । हर नुक्कड़ हर दूकान पर मास्क उपलब्ध होने लगा । यहाँ तक कि पान वाले भी मास्क बेचने ल
गे । घरों और दफ्तरों की साफ़ सफाई करने वाले सफाई कर्मचारी भी मास्क लगाकर काम करने लगे भले ही उनको इसका ज्ञान न हो कि मास्क क्यों लगाईं जाती है और इसके क्या फायदे हैं ।
दफ्तरों में सफाई
पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा । डेटोल साबुन एवम सफाई करने वाले अन्य रासायनिक पदार्थों की बिक्री और खर्च बढ़ गई ।
कुछ सप्ताह सारे स्कूल, कॉलेज , सिनेमा घर इत्यादि को बन्द करने का प्रशासन ने आदेश दे दिया और बन्द भी रहे। पर कितने दिनों तक बन्द रहते , फिर से खुल गई है और लगा गाड़ी फिर से पटरी पर आ गई । पर
स्वाइन फ्लू का दहशत कम नहीं हुआ , डर तो अब तक बनी हुई है । कोई जरा सा छींका नहीं कि लोग उसे घूर कर देखने
लगते हैं । जरा सी सर्दी और बुखार से ही लोग घबरा जाते हैं, चाहे वह साधारण फ्लू ही क्यों न हो । सबके दीमाग में
एक ही बीमारी घूमती है , वह है स्वाइन फ्लू । कहीं यह स्वाइन फ्लू तो नहीं ? सारे स्कूल ,कॉलेज दफ्तर में स्पष्ट हिदायत है , जरा सी सर्दी बुखार हो तो न आयें । ऐसा माहौल है पर क्या पूरे शहर के लिए दो ही अस्पताल काफी है , जहाँ स्वाइन फ्लू की जांच होती है ? क्या "
Tamiflu " हर मरीज़ को उपलब्ध हो पाता है या अब भी समय पर इसकी जाँच की सुविधा पर्याप्त है ?
मुझे एक वरिष्ट डॉक्टर से मिलने का मौका मिला था और मैं उनसे स्वाइन फ्लू के विषय में पूछ बैठी थी । उस समय उन्होंने बताया था , अभी पूरी तरह से यह बीमारी नहीं फैली है , न रोकी जा सकी है । महामारी का अंदेशा अब भी काफी है । आज वह सच साबित हो भी रहा है ठंढ में फ़िर से स्वाइन फ्लू का प्रकोप बढ़ गया है ।