"दर्द इस कदर दिया "
यूँ नसीब ने तो प्यारा हमसफ़र दिया
मेरी जिंदगी में ऐतवार भर दिया
दर्द पाया फिर भी लगता खुश नसीब हूँ
जाने जादू क्या उसने ऐसा कर दिया
वैसे जिन्दगी में कम कहाँ है उलझनें
जाते जाते भी न चैन इक पहर दिया
ये तो जाना हमसफ़र का भी सफ़र वहीं
वो हसीन पल भी सपनों में है भर दिया
कहना चाहा जो कुसुम ने आज कह दिया
अपनी पंखुड़ी भी दर्द इस कदर दिया
-कुसुम ठाकुर-
1 comment:
वाह बहुत खूब !!!
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