सपनो में बस जाते हो


"सपनो में बस जाते हो"

कुछ बरसों का साथ रहा पर याद बहुत तुम आते हो
जानूँ वे पल फिर न आए, तुम सपनो में बस जाते हो

वे क्षण कितने प्यारे होते नैन जहाँ सब कह जाते
इक दूजे को समझ गए तो खुद को क्यूँ भरमाते हो

साथ नहीं मन का छूटा, बस आँखें न मिल पातीं हैं
मीत भिज्ञ हो कारण से तुम प्रश्न नया क्यों लाते हो

न बसंत न मेघ रिझाता, न भंवरों के गीत मुझे
ताल तलैया न सूखे क्यूँ अश्क से प्यास बुझाते हो

कला है जीना गर जीवन तो, कलाकार प्रेमी माला
कुसुम के सपनों को गीतों से आकर रोज सजाते हो

-कुसुम ठाकुर-   

4 comments:

Sunil Kumar said...

बहुत खुबसूरत दिल से निकला वाह वाह ...

Shah Nawaz said...

बेहतरीन!

कविता रावत said...

bahut khoobsurat gajal..
Navvarsh kee haardik shubhkamnayen!!

Prabha said...

waise to I like all you posts...but Poems are always special interest and gives food for thought.Amazing,
Prabhajha.blogspot.com