"गिले शिकवे सपनों में आके रुला दे "
सफ़र खूबसूरत जो वादे भुला दे ,
गिले शिकवे सपनों में आके रुला दे .
चमन भी है सूना है घर मेरा सूना ,
ख़ुशी की वो घड़ियाँ जो गम को भुला दे .
कटे भी न कटती हैं ये लम्बी सी रातें ,
यादों के मंज़र में मुझको झुला दे .
यादों के मंज़र में मुझको झुला दे .
मिला मुझको वो जिसकी चाहत कभी थी,
परछाइयाँ जिसकी खुशियाँ दिला दे .
सफ़र यूँ तो कट जाए बाकी बचा जो,
दो शक्ति मुझे जो मन को भुला दे .
- कुसुम ठाकुर -
13 comments:
कटे भी न अब लागे लम्बी ये रातें ,
वो यादों के मंज़र में मुझको झुला दे .
SUPERB !
bahut achchhi kavitaa ke liye badhai
बहुत उम्दा!!
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल 'समीर'
मन की टीस को व्यक्त करती अभिव्यक्ति ...
दीपावली की शुभकामनायें
बेहद उम्दा प्रस्तुति।
दीप पर्व की हार्दिक शुभकामनायें।
बहुत ही उम्दा कुसुम जी
दीपावली कि शुभकामनाये :)
रचना अच्छी लगी।
चिरागों से चिरागों में रोशनी भर दो,
हरेक के जीवन में हंसी-ख़ुशी भर दो।
अबके दीवाली पर हो रौशन जहां सारा
प्रेम-सद्भाव से सबकी ज़िन्दगी भर दो॥
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई!
सादर,
मनोज कुमार
बहुत खूबसूरती से अपने एहसासों को लिखा है ...
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना मंगलवार 23 -11-2010
को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
Kaafi umda likha hai aapne.
बहुत सुन्दर रचना .. और बखूबी लिखा है.. सुन्दर रचना के लिए बधाई स्वीकार करें .. और शुभकामनाएं
सुन्दर अभिव्यक्ति!
सफ़र यूँ तो कट जाए बाकी बचा जो,
दे शक्ति मुझे जो न जग को भुला दे .
बहुत सुन्दर। बस यही सोच अपने मुकाम तक ले जाती है। बधाई।
आप सबों को बहुत बहुत धन्यवाद !!
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