जिद्द भी करूँ क्यूँ न वादा करो

"जिद्द भी करूँ क्यूँ न वादा करो"

 गुम सुम रहो और न बातें करो,
कहूँ मैं क्या जो यकीं मुझपर करो 

पल पल की यादें हूँ मैं कितनी दूर,
विरह वेदना है बेताबी हरो 

नाराज़ जीवन, छुपे मुझसे क्यूँ ,
गिले शिकवे क्यों अब न मुझसे करो

मेरी भावनाएँ हुई कबसे गौण,
हो पहचान मेरी न आहें भरो 

अदाएँ भी मेरी रहे मुझसे दूर,
जिद्द भी करुँ क्यूँ न वादा करो 

लम्हें बची ना करो तुम यकीन,
  नजदीकियाँ हैं न चैन वरो  

- कुसुम ठाकुर -  

8 comments:

आर्यावर्त डेस्क said...

बहुत खूब,
सुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति.
बधाई स्वीकार कीजिये.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सुन्दर रचना .

Kailash Sharma said...

बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति , बधाई । नववर्ष की शुभकामनायें।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

prem ki aakulta..
achchhe bhav.

रंजना said...

भावुक प्रेमाभिव्यक्ति...

बहुत ही सुन्दर रचना...वाह ...

अनामिका की सदायें ...... said...

acchha bhaav pravaah. sunder abhivyakti.

वाणी गीत said...

अदाएँ भी मेरी रहे मुझसे दूर,
जिद्द भी करुँ क्यूँ न वादा करो।

सुन्दर भावाभिव्यक्ति !