ऐसा भी मन पावन देखा
" ऐसा भी मन पावन देखा "
कैसे कह दूँ ख्वाब न देखा
आज करूँ कैसे अनदेखा
न वो बातें, न वो रिश्ते
फिर भी लगता है मन देखा
तन्हाई भी साथ रहे जब
ऐसा क्यूँ लगता घन देखा
साथ चले थे बरसों पहले
ऐसा भी मन पावन देखा
हरियाली का पता नहीं है
किस्मत से वह सावन देखा
-कुसुम ठाकुर-
बहुत खूब कुसुम जी - वाह क्या बात है?
ReplyDeleteशब्द-भाव का संगम यूँ कि
कुसुम हृदय का आँगन देखा
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
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न वो बातें, न वो रिश्ते
ReplyDeleteफिर भी लगता है मन देखा
कितने सुंदर मनोभाव प्रकट किये हैं आपकी लेखिनी ने.... वाह !
बहुत ही सुंदर भाव संयोजन ....
ReplyDeletesarthak post aabhar .NAVSAMVATSAR KI HARDIK SHUBHKAMNAYEN !shradhey maa !
ReplyDeleteवाह! बेहद सुन्दर भाव!
ReplyDeletewah kusum jee...kaise kah doon khwab naa dekha...nahi kabhi mat kahiyega...sachin bhee to kahta hai har aadmi ko khwab jarur dekhna chahiye...sadar badhayee aaur apne blog par amantran ke sath
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