Wednesday, September 21, 2011

क्या आत्म हत्या करना किसी दुःख का हल है?

अचानक सुबह में मेरी एक सहेली का फ़ोन आया और उसने कहा "पता है मि. मुर्मू की बेटी ने आत्म हत्या कर ली अभी उसके शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा है".  यह सुनते ही मैं स्तब्ध रह गई. अपने बालकनी में जाकर खड़ी हो गई और जो दृश्य देखी वह देख मैं विचलित हो गई. आगे आगे मालिनी का शव कंधे पर लिए चार लोग और पिता छतरी को मालिनी के सर पर ताने बढ़ रहे थे, पीछे पीछे पूरा परिवार रोते बिलखते मालिनी को अंतिम विदाई देने के लिए. मालिनी के पार्थिव शरीर को एक फूलों से लदे ट्रक पर डाल दिया गया. जिस बेटी या बच्चे को छोटी सी चोट लगने पर माँ बाप बेचैन हो जाते हैं आज उसे ही अग्नि देव को सुपुर्द करने ले जाते समय उनकी मानसिक स्थिति का सोच मेरा मन रो उठा. पर मैं सबसे ज्यादा उस समय द्रवित हुई जब पत्रकारों का एक समूह उस गमगीन घडी में भी होड़ लगाये हुए थे कि कौन सबसे नजदीक और अच्छी तस्वीर ले सकता है. उस होड़ में वे दुःख में डूबे परिजनों को बगल हटने या पीछे जाने के लिए भी कह रहे थे. 

श्री मुर्मू और श्रीमती मुर्मू मेरे पड़ोस में रहते हैं. बड़ी बेटी मालिनी का इसबार आई आई एम बंगलौर में दाखिला दिलाने के बाद वे बहुत ही खुश थे. उन्हें क्या पता था कि उनकी यह ख़ुशी जल्द ही दुःख में परिवर्तित हो जायेगा. किसी से मालिनी को प्रेम हो गया था पर उस प्रेमी द्वारा फेस बुक स्टेटस में "filing super cool, dumped my new ex girl friend, happy independence day" को मालिनी बर्दाश्त नहीं कर पाई और suicide note लिखकर लैपटॉप के पास छोड़ अपने हॉस्टल में फाँसी लगाकर आत्म हत्या कर ली. आज के ज़माने में जीवन की रफ़्तार इतनी तेज़ है कि लोगों को किसी के भावना का भी जरा सा ख्याल नहीं रहता. इस भौतिकवादी ज़माने में बहुत कम व्यक्ति हैं जो भावनाओं को अहमियत देते हैं. अहम की भावना भी आज की पीढ़ी में बढ़ता जा रहा है बर्दाश्त करने की शक्ति तो जैसे नगण्य होता जा रहा है. 

क्या आत्म हत्या करना ही किसी भी दुःख का अंत या हल है ? 

6 comments:

  1. आत्महत्या कभी किसी दुख का हल नही हो सकता ………आज सुबह ही ये सब पढा और लगा कि इन बच्चो को अभी दिशा की बहुत जरूरत है और वो भी सही दिशा की मगर दूर रहने पर ये भटक जाते है और अपने मन की बात किसी से ना कह पाकर ऐसा कदम उठा लेते है जिससे किसी का कोई फ़ायदा तो नही होता मगर पीछे जो रह जाते है उनके दुख का पारावार नही रहता।

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  2. आत्महत्या कभी भी दुख का हल नही है|

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  3. I hate sosite.I do not understand how can aman do it?

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  4. maidam mai aapke vicharo se purntah sahmat hu

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