Monday, August 29, 2011

हार मिले न हार बिना

 

"हार मिले न हार बिना "

सूना जीवन प्यार बिना 
नीरस होता यार बिना  

कला नहीं जीवन जीने की    
पर पलता व्यवहार बिना  

दिल में उपजे प्रणय-भाव पर 
यह सजता अभिसार बिना 

आशा हो पर ना हो बन्धन 
हार मिले न हार बिना  

कठिन बाँधना कुसुम प्रेम को  
बढ़ता नित उपहार बिना 

- कुसुम ठाकुर-  



8 comments:

  1. वाह वाह - क्या बात है? कम शब्दों में बड़ी बात? बधाई हो कुसुम जी। आदतवश मैं भी कुछ जोड़ दूँ-

    भाव गज़ल के सुमन मनोहर
    लिखे कौन आधार बिना

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  2. kusumji, pyari kavita likhane ke liye abhar. kam shabdon mey bada darshan diya hai aapne.

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  3. बहुत खुबसूरत....
    सादर बधाई...

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  4. बहुत सुन्‍दर अभिव्‍यक्ति हार मिले ना हार बिना।

    अरूण

    http://aroonk2011.blogspot.com/

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  5. कला नहीं जीवन जीने की
    पर पलता व्यवहार बिना
    (क्यों व्यवहार में हार
    फिर भी जीने की तमन्ना

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