Monday, August 29, 2011
Sunday, August 14, 2011
मुझे आज मेरा वतन याद आया
"मुझे आज मेरा वतन याद आया"
मुझे आज मेरा वतन याद आया।
ख्यालों में तो वह सदा से रहा है ,
मजबूरियों ने जकड़ यूँ रखा कि,
मुड़कर भी देखूँ तो गिर न पडूँ मैं ,
यही डर मुझे तो सदा काट खाए ।
मुझे आज ......................... ।
छोड़ी तो थी मैं चकाचौंध को देख ,
मजबूरी अब तो निकल न सकूँ मैं,
करुँ अब मैं क्या मैं तो मझधार में हूँ ,
इधर भी है खाई, उधर मौत का डर ।
मुझे आज .............................. . ।
बचाई तो थी टहनियों के लिए मैं ,
है जोड़ना अब कफ़न के लिए भी ।
काश, गज भर जमीं बस मिलता वहीँ पर ,
मुमकिन मगर अब तो वह भी नहीं है ।
मुझे आज .............................. .. ।
साँसों में तो वह सदा से रहा है ,
मगर ऑंखें बंद हों तो उस जमीं पर।
इतनी कृपा तू करना ऐ भगवन ,
देना जनम निज वतन की जमीं पर ।
मुझे आज .............................. .... ।
-कुसुम ठाकुर-
Friday, August 12, 2011
किस तरह
"किस तरह"
तुमको चाहा है मगर तुमको बताऊँ किस तरह
आँखों में जुबाँ नहीं तो सुनाऊँ किस तरह
भूलकर दर्द जुदाई का ना मिलती खुशियाँ
जफ़ा के आसुओं को अब बहाऊँ किस तरह
भूलना है कठिन बहुत जो पल थे यादों के
वो सभी यादें अभी दिल से मिटाऊँ किस तरह
अगर नहीं है बेबसी तो बेड़ियाँ कैसी
वफ़ा की चाहतें जो दिल में निभाऊँ किस तरह
हर कदम साथ हो कुसुम की ख्वाहिश इतनी
मगर अकेले अब कदम को बढाऊँ किस तरह
-कुसुम ठाकुर-
Saturday, August 6, 2011
हरएक आँख में नमी
"हरएक आँख में नमी"
लगे अमन की कमी इस खूबसूरत जहाँ में
बँटी हुई क्यों जमीं इस खूबसूरत जहाँ में
कर्म आधार था जीने का कैसे जाति बनी
हरएक आँख में नमी इस खूबसूरत जहाँ में
जहाँ पानी भी अमृत है, बोल कडवे क्यों
गंग की धार भी थमी इस खूबसूरत जहाँ में
सिसकते लोग मगर पूजते पत्थर
भावना की है कमी इस खूबसूरत जहाँ में
यूँ तो मालिक सभी का एक नाम कुछ भी दे दो
कुसुम बने न मौसमी इस खूबसूरत जहाँ में
-कुसुम ठाकुर-