Saturday, June 18, 2011

सावन आज बहुत तड़पाया


"सावन आज बहुत तड़पाया"

फिर बदरा ने याद दिलाया 
पिया मिलन की आस जगाया 

तड़पाती है विरह वेदना 
सोये दिल की प्यास बढ़ाया

कट पाये क्या सफ़र अकेला 
बस जीने की राह दिखाया

पतझड़ बीता और वसंत भी
सावन आज बहुत तड़पाया

आदत काँटों में जीने की
जहाँ कुसुम हरदम मुस्काया

-कुसुम ठाकुर- 

12 comments:

  1. सावन आने वाला है और यह गीत ..खूब..

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  2. तड़पाती है विरह वेदना
    सोये दिल की प्यास बढ़ाया

    बहुत प्यारे भाव हैं पूरी रचना में कुसुम जी - बस अपनी वही पुरानी आदत तुक मिलाने कि - लीजिए प्रस्तुत है दो त्वरित पंक्तियाँ मेरी ओर से -

    सुमन की यारी भी काँटे से
    मिले जख्म पर साथ निभाया

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  3. आदत काँटों में जीने की
    जहाँ कुसुम हरदम मुस्काया

    बहुत खूब !!

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  4. जिसे कांटों में मुस्कुराना आ गया, उसके लिए हर राह आसान है।

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  5. कुसुम जी कविताओं को हमेशा पढ़ता हूँ | अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति में हर बार नयेपन की सुन्दरता होती है और उनके नाम की तरह रिश्तों की सुगंध...|
    यहीं पूर्ण रचना अद्भुत हैं, बहुत अच्छे शेरो के बिच एक-दो अगर अच्छे हो तो भी सामान्य लगते हैं... यह स्वाभाविक हैं | कुसुम भले ही काँटों से घिरी हो मगर, कविता का दर्द उन काँटों से ही मिलता है, यह हम कैसे भूलें?

    फिर बदरा ने याद दिलाया
    पिया मिलन की आस जगाया
    *
    पतझड़ बीता और वसंत भी
    सावन आज बहुत तड़पाया
    *
    आदत काँटों में जीने की
    जहाँ कुसुम हरदम मुस्काया

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  6. आदत काँटों में जीने की
    जहाँ कुसुम हरदम मुस्काया

    हर परिस्थिति से मुकाबला करने का भाव जगाती सुंदर पंक्तियां।

    आभार

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  7. बहुत सुन्दर रचना ... आभार

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  8. विरह व्यथा से ओत-प्रोत रचना बहुत अच्छी लगी।
    --
    पितृ-दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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  9. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (20-6-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  10. सावन की आहट का सुन्दर गीत !

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  11. खूबसूरत गज़ल ..कठिन परिस्थितियों मेंभी हँस कर जीना ही असल में जीना है ..

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