Monday, January 18, 2010

हँसी के तले शिकन जो मिले

" हँसी के तले शिकन जो मिले "

मैं हँसती तो हूँ पर कहूँ मैं किसे
इस हँसी के तले शिकन जो मिले

कहूँ किस तरह दर्द के सिलसिले
दिखाऊँ किसे दर्द हैं जो मिले

न अरमानों की हसरत है मुझे
न दीवानगी न उल्फत ही मिले

हौसला है मिला उस सफ़र के लिए
मैं करूँ बंदगी पर सिफर ही मिले

- कुसुम ठाकुर -

19 comments:

  1. कहूँ किस तरह दर्द के सिलसिले
    दिखाऊँ किसे दर्द है जो मिले........nice

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  2. उम्दा रचना है.
    यूँ ही आप लिखती रहेंगी इसी शुभकामना के साथ

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  3. न अरमानों की हसरत है मुझे
    न दीवानगी न उल्फत ही मिले...

    बहुत सुंदर पंक्तियाँ....

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  4. हौसला है मिला उस सफ़र के लिए
    मैं करूँ बंदगी पर सिफर ही मिले

    बंदगी के साथ चल पडे सिलसिले
    हौसला जो है तो मंजिल भी मिले,



    बेहतरीन रचना
    शुभकामनाएं।

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  5. "हौसला है मिला उस सफ़र के लिए
    मैं करूँ बंदगी पर सिफर ही मिले"
    सार्थक और सराहनीय प्रयास
    शुभकामनाएं

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  6. WAAH......Lajawaab rachna !!!
    sabhi sher lajawaab !!!

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  7. quite interesting post. I would love to follow you on twitter. By the way, did any one hear that some chinese hacker had busted twitter yesterday again.

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  8. interesting read. I would love to follow you on twitter. By the way, did any one learn that some chinese hacker had busted twitter yesterday again.

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  9. मैं सिर्फ ऊपरी पंक्ति की बात करूंगा, आपने जो लिख दिया है, उस पर तो एक पूरा उपन्यास लिखा जा सकता है. आज के दौर की यही तो त्रासदी है, हम खोखली हंसी हंसते हैं, दूसरों की नजरों में खुद को जिंदा-सलामत दिखाते रहने की कोशिश में. जबकी एक एक पल, वक्त की एक एक हरकत हमें मजबूर करती रहती है आठों पहर रुलाने को. रिश्ते-नाते, दोस्ती-इंसानियत सब के चेहरे तो ज़ाहिर हो चुके हैं.
    थोडा न्याय भी कीजिए अपने साथ. आप अपनी प्रतिभा का पूरा इस्तेमाल नहीं कर रही हैं. थोड़ी सी मेहनत आपको साहित्य में एक ऊंचा स्थान दिला सकती है. उसकी तमन्ना नहीं हैक्या?

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  10. कहूँ किस तरह दर्द के सिलसिले
    दिखाऊँ किसे दर्द है जो मिले....

    sunder.....!!

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  11. बहुत सुन्दर भाव लिए सुन्दर रचना
    बहुत बहुत आभार

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  12. Bahut sundar... bahut gahree.... & man ko chhone vaali rachnaa. badhaai sweekaar karen kusum ji.

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  13. " umda ....behtarin न अरमानों की हसरत है मुझे
    न दीवानगी न उल्फत ही मिले... ..bahut hi badhiya "

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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  14. न अरमानों की हसरत है मुझे
    न दीवानगी न उल्फत ही मिले...
    वाह बहुत खूब सुन्दर रचना बधाई

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  15. bahut khub........kya baat hai......

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  16. अच्छी रचना दी। सर्वत जमाल साब की बातें काबिले-गौर हो दी....

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  17. मैं अपने सभी साथियों का बहुत ही आभारी हूँ, आप सभी मुझे नई रचना के लिए उत्साह देते हैं, साथ ही प्रेरित भी करते हैं ....!!
    सर्वत जी ,
    आप जब भी मेरे ब्लॉग पर अपनी प्रतिक्रिया देते है दूने उत्साह से लिखती हूँ आपकी बातों का ख्याल अवश्य रखूंगी ....बहुत बहुत धन्यवाद !!

    गौतम ,
    अपने छोटे भाई की बातों का ख्याल तो रखना ही होगा !!

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  18. Hi! Could you please send me via e-mail Photo a view from your windor with some words about this place.
    Thank you,
    regards
    Alexander St.petersburg

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