" बचपन "
याद मुझे बच्चों का बचपन ,
और याद उनका भोलापन ।
भाते थे उनका तुतलाना ,
और सदा उन्हें बहलाना ।
बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे।
चाहूँ बस स्मृतियों में वैसे ,
संचित कर रख पाऊँ कैसे।
सोच सोच मैं सुख पाऊँ
बिन सोचे न रह पाऊँ
नैनों को बस भरमाऊँ
और स्वयं ही मुस्काऊँ
- कुसुम ठाकुर -
याद मुझे बच्चों का बचपन ,
और याद उनका भोलापन ।
भाते थे उनका तुतलाना ,
और सदा उन्हें बहलाना ।
बचपन उनका बीता ऐसे ,
आँख भींचते रह गयी मैं जैसे।
चाहूँ बस स्मृतियों में वैसे ,
संचित कर रख पाऊँ कैसे।
सोच सोच मैं सुख पाऊँ
बिन सोचे न रह पाऊँ
नैनों को बस भरमाऊँ
और स्वयं ही मुस्काऊँ
- कुसुम ठाकुर -
बचपन उनका बीता ऐसे ,
ReplyDeleteआँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे !
बहुत ही भावमय प्रस्तुति ।
बचपन उनका बीता ऐसे ,
ReplyDeleteआँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे !
बहुत ही भावमय प्रस्तुति ।
बहुत भावपूर्ण रचना ....
ReplyDeleteसच ऐसे ही गुजर जाता है,बच्चों का बचपन,वो रूठना,मचलना,तुतलाना....जैसे हमने पल भर को आँखें मिंची हों...बहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteआपकी पोस्ट पढ़ कर दो पुराने फ़िल्मी गीत याद आ गए... "भला था कितना अपना बचपन...भला था कितना..." और " बचपन के दिन...बचपन के दिन भी क्या दिन थे...उड़ते फिरते तितली संग...
ReplyDeleteनीरज
बचपन उनका बीता ऐसे ,
ReplyDeleteआँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे ।
Bahut sundar !
नैनों में खुद को भरमाकर किया है बचपन याद।
ReplyDeleteहो मुस्कान कसुम के मुख पर सुमन करे फरियाद।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत अच्छी रचना, बधाई स्वीकारें।
ReplyDeletekyaa baat hai bachpan ki ?
ReplyDeletebachpan ki yaaden zindgi ka sabse bada sarmaaya hai !
बहुत ही बढ़िया रचना है !
ReplyDeleteबचपन उनका बीता ऐसे ,
ReplyDeleteआँख भींचते रह गयी मैं जैसे ।
चाहूँ बस स्मृतियों में कैसे ,
संचित कर रख पाऊँ वैसे ।
कुसुम जी सच मे सब कल की बातें लहती हैं । बहुत अच्छी रचना है बधाई
बहुत अच्छी रचना, बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......
ReplyDeleteसंजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com