"मूल्य है हर पल का"
मूल्य है हर उस पल का ,
चाहे सुख या दुःख के हों ।
दुःख की घड़ियाँ न रहे सब दिन ,
तो सुख की आस निरंतर क्यों हो ।
जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
तो सुख बाँटन में भी सुख हो ।
जो मिल जाए, और विश्वास सँग हो ,
तो सुख और दुःख में भेद कम हो ।
सुख में उल्लास बढे विश्वास ,
दुःख में ही पहचान भी तो हो ।
आवे न जो दुःख, इस जीवन में ,
तो सुख का मोल, भी तो कम हो ।।
- कुसुम ठाकुर -
बहुत सुंदर रचना....
ReplyDeleteआभार.......
सुख दुख जीवन संगिनी पर दुख में पहचान।
ReplyDeleteसुख में खोये जो कभी जीवन से अनजान।।
सुन्दर भाव।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
दुःख की घड़ियाँ न रहे सब दिन ,
ReplyDeleteतो सुख की आस निरंतर क्यों हो ।
jeevan-darshan ki prasaangiktaa ko
khoob shabdon mei dhaal kar
ek achhee kavita ka nirmaan...
bahut behtar srijan ..
बढ़िया रचना प्रस्तुति....
ReplyDeleteआवे न जो दुःख, इस जीवन में ,
ReplyDeleteतो सुख का मोल, भी तो कम हो ।।
सुख की पहचान दु:ख मिलने पर ही होती है। बहुत बढिया कविता- आभार
बहुत बढ़िया रचना!
ReplyDeleteबहुत बढिया रचना है।बधाई।
ReplyDeletebadhiya rachnaa...
ReplyDeletepathneeya bhi sangrahneeya bhi...
abhinandan !
जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
ReplyDeleteतो सुख बाँटन में भी सुख हो ।
सुन्दर शब्द और भाव लिए आपकी ये रचना अनुपम है...
नीरज
आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !!
ReplyDelete"जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
ReplyDeleteतो सुख बाँटन में भी सुख हो"
सहज लय-प्रवाह लिये गुनगुनाने वाली रचना।