Tuesday, December 15, 2009

मूल्य है हर पल का



"मूल्य है हर पल का"


मूल्य है हर उस पल का ,
चाहे सुख या दुःख के हों ।
दुःख की घड़ियाँ न रहे सब दिन ,
तो सुख की आस निरंतर क्यों हो ।


जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
तो सुख बाँटन में भी सुख हो ।
जो मिल जाए, और विश्वास सँग हो ,
तो सुख और दुःख में भेद कम हो ।


सुख में उल्लास बढे विश्वास ,
दुःख में ही पहचान भी तो हो ।
आवे न जो दुःख, इस जीवन में ,
तो सुख का मोल, भी तो कम हो ।।

- कुसुम ठाकुर -


11 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना....

    आभार.......

    ReplyDelete
  2. सुख दुख जीवन संगिनी पर दुख में पहचान।
    सुख में खोये जो कभी जीवन से अनजान।।

    सुन्दर भाव।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

    ReplyDelete
  3. दुःख की घड़ियाँ न रहे सब दिन ,
    तो सुख की आस निरंतर क्यों हो ।

    jeevan-darshan ki prasaangiktaa ko
    khoob shabdon mei dhaal kar
    ek achhee kavita ka nirmaan...
    bahut behtar srijan ..

    ReplyDelete
  4. बढ़िया रचना प्रस्तुति....

    ReplyDelete
  5. आवे न जो दुःख, इस जीवन में ,
    तो सुख का मोल, भी तो कम हो ।।
    सुख की पहचान दु:ख मिलने पर ही होती है। बहुत बढिया कविता- आभार

    ReplyDelete
  6. बहुत बढ़िया रचना!

    ReplyDelete
  7. बहुत बढिया रचना है।बधाई।

    ReplyDelete
  8. badhiya rachnaa...

    pathneeya bhi sangrahneeya bhi...

    abhinandan !

    ReplyDelete
  9. जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
    तो सुख बाँटन में भी सुख हो ।

    सुन्दर शब्द और भाव लिए आपकी ये रचना अनुपम है...
    नीरज

    ReplyDelete
  10. आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद !!

    ReplyDelete
  11. "जो दुःख की घड़ियाँ सहज सँग हो ,
    तो सुख बाँटन में भी सुख हो"

    सहज लय-प्रवाह लिये गुनगुनाने वाली रचना।

    ReplyDelete