Friday, April 15, 2016

सावन आज बहुत तड़पाया

"सावन आज बहुत तड़पाया"

फिर बदरा ने याद दिलाया
पिया मिलन की आस जगाया

तड़पाती है विरह वेदना
सोये दिल की प्यास बढ़ाया

कट पाये क्या सफ़र अकेला
बस जीने की राह दिखाया

पतझड़ बीता और बसंत भी
सावन आज बहुत तड़पाया

आदत काँटों में जीने की
जहाँ कुसुम हरदम मुस्काया

-कुसुम ठाकुर- 

2 comments:

  1. शुभ संध्या
    सावन की रिमझिम में
    झूमती उमंग
    बदली भी
    झूम रही
    बूँदों के संग।
    सादर

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