Wednesday, July 13, 2011

न जाने क्यों आज विकल है


"न जाने क्यों आज विकल है"

मीत मिला तो भाग्य प्रबल है 
जीवन नश्वर भाव अचल है 

रह के दूर पास में दिल के 
क्या शिकवे की यहाँ दखल है 

उत्सर्गों का नाम प्यार है 
न पाकर भी जन्म सफल है 

प्रीत है बन्धन कई जन्मों का
हृदय धैर्य फिर कहाँ विफल है

कुसुम तो खिलकर हँसना जाने 
न जाने क्यों आज विकल है

-कुसुम ठाकुर-

8 comments:

  1. मीत मिला तो भाग्य प्रबल है
    जीवन नश्वर भाव अचल है

    जीवन के इस शाश्वत सत्य को कम शब्दों में आपने खूब कहा है कुसुम जी - इस कथ्य का महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह उस अवसर पर कहा गया हो जहाँ से आपने व्यावहारिक जीवन शुरू किया. यह कितना सुखद संयोग है कि १२ जुलाई को जन्म दिवस और १३ जुलाई को शादी की साल गिरह - तब इतनी मनभावन रचना - क्या बात है? सराहनीय प्रयास आपका. अपनी आदत से मजबूर लीजिये कुछ त्वरित पंक्तियाँ खासकर आपके लिए -

    बारह को जीवन शुरू तेरह से व्यवहार.
    सुरभित हो वह पल कुसुम शुरू जहाँ से प्यार..


    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  2. प्रीत है बन्धन कई जनम का
    हृदय धैर्य फिर कहाँ विफल है
    बहुत सुंदर भावाव्यक्ति अच्छी लगी रचना

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  3. इसी अन्जानापन का नाम तो मोहब्बत है। बहुत बहुत ही सुन्दर प्रेम की अभिव्यक्ति।

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  4. फिर आ गया हूँ एक बार और टिप्पणी करने कुसुम जी - बहुत भाव से ये पंक्तियाँ स्वतः कलम से निकल पड़ी - जो प्रस्तुत है आपके लिए खासकर -

    शादी की सालगिरह

    बारह को जीवन शुरू तेरह को व्यवहार।
    मास जुलाई में कुसुम खुशियाँ मिले हजार।।

    भाग्य प्रबल था आपका लल्लन जी का साथ।
    बहुत बड़े व्यक्तित्व ने थाम लिया जब हाथ।।

    कालजयी रचना कई लिखे ललन प्रसाद।
    बढ़ीं आप उस राह पर उनको करके याद।।

    लक्ष्य सफल हो आपका सुन्दर हो परिणाम।
    सुमन हृदय की कामना पूरन हो मनकाम।।

    है शादी की सालगिरह खास दिवस है एक।
    सुमन कुसुम के संग में लेकर हृदय विवेक।।


    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    http://www.manoramsuman.blogspot.com
    http://meraayeena.blogspot.com/
    http://maithilbhooshan.blogspot.com/

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  5. बेहद भावप्रवण रचना।
    आपकी रचना तेताला पर भी है ज़रा इधर भी नज़र घुमाइये
    http://tetalaa.blogspot.com/

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  6. वाह सुमन जी ,
    आपने तो मेरी इस रचना का सौन्दर्य ही बढ़ा दिया.
    जन्मदिन और सालगिरह पर इतनी अच्छी कविताएँ
    लिखकर आपने तो मेरा और मेरी रचना का मान बढ़ा दिया.
    इस भाव पूर्ण बधाई के लिए आभार.

    @ सुनील जी, अरुण साथी जी, एवम वंदना जी बहुत बहुत धन्यवाद!

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  7. उत्सर्गों का नाम प्यार है
    न पाकर भी जन्म सफल है ----
    कविता का नन्हा सा फूल महका गया...

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  8. बहुत सुन्दर भाव लिए अच्छी रचना ..

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