Wednesday, April 14, 2010

गुम सुम सी बैठी रहती हूँ

"गुम सुम सी बैठी रहती हूँ "

गुम सुम सी बैठी रहती हूँ।
ख़्वाबों को ख्यालों को ,
नयनों मे बसाती रहती हूँ ।
थक जाते हैं मेरे ये नयन ,
पर मैं तो कभी नहीं थकती ।
गुम सुम ........................ ।
कानों को कभी लगे आहट ,
आते हैं होठों पर ये हँसी ।
पल भर की ये उम्मीदें थीं ,
दूसरे क्षण ही विलीन हुए ।
गुम सुम सी ................... ।
फिर आया एक झोंका ऐसा ,
सब लेकर दूर चला गया ।
अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।
-कुसुम ठाकुर -

19 comments:

  1. फिर आया एक झोंका ऐसा ,
    सब लेकर दूर चला गया ।
    झोके तो आते रहते हैं. ख्वाबो खयालो को फिर भी जिन्दा रखना ही होगा.
    सुन्दर खयाल

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  2. सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना ! अति उत्तम !

    http://sudhinama.blogspot.com
    http://sadhanavaid.blogspot.com

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  3. कानों को कभी लगे आहट ,
    आते हैं होठों पर ये हँसी ।
    पल भर की ये उम्मीदें थीं ,
    दूसरे क्षण ही विलीन हुए ।

    ye panktiyan bahut khoob lagi..
    http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

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  4. This comment has been removed by the author.

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  5. बहुत सुंदर रचना।

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  6. "अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।"


    खूब जिया है ऐसे पलो को हमने भी बताऊँ कैसे,
    जिन पलो में मृत थे हम वो पल अब दोहराऊं कैसे,

    KUNWAR JI,

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  7. फिर आया एक झोंका ऐसा ,
    सब लेकर दूर चला गया ।
    अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।

    Bahut khoob !

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  8. बहुत सुंदर भावपूण रचना !!

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  9. कई रंगों को समेटे एक खूबसूरत भाव दर्शाती बढ़िया कविता...बधाई

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  10. सुन्दर एवं भावपूर्ण रचना !

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  11. फिर आया एक झोंका ऐसा ,
    सब लेकर दूर चला गया ।
    अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।
    atyant gahan abhivyakti.

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  12. "अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।"
    कई बार होता है ऐसा । पर ख्वाब है तो जीवन जीने की इच्छा है । सुंदर रचना ।

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  13. फिर आया एक झोंका ऐसा ,
    सब लेकर दूर चला गया ।
    अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।
    ओह !!..कितने ही मन की बातें उजागर कर गयीं ये पंक्तियाँ

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  14. पल भर की ये उम्मीदें थीं ,
    दूसरे क्षण ही विलीन हुए ।
    गुम सुम सी ................... ।
    फिर आया एक झोंका ऐसा ,
    सब लेकर दूर चला गया ।
    अब बैठी हूँ चुप चाप मगर ,
    न ख्वाब है, न ख़्याल ही है।

    " umda "

    ----eksacchai {aawaz}

    http://eksacchai.blogspot.com

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  15. प्रतिक्रिया के लिए आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद !!

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