Wednesday, March 24, 2010

यह सोच मैं हूँ हैरान


" यह सोच मैं हूँ हैरान "


बहुत कठिन है साथ में हँसना ,
और किसी की खातिर रोना ,
सँग सँग जीवन पथ पर
फिर भी , चलना है आसान ,
यह सोच मैं हूँ हैरान ।


महल से न कम घर होगा ,
क्या सोची थी यह कब होगा ?
जीवन की सच्चाई का तब ,
क्यों नहीं मुझे था भान ,
यह सोच मैं हूँ हैरान ।


जीवन के इस बगिया में ,
धूप छाँव दोनों आते हैं ।
किसकी बारी कब आएगी ,
इसका न हुआ कभी ज्ञान
यह सोच मैं हूँ हैरान ।।


- कुसुम ठाकुर -

16 comments:

  1. जीवन के इस बगिया में ,
    धूप छाँव दोनों आते हैं ।
    किसकी बारी कब आएगी ,
    इसका न हुआ कभी ज्ञान

    शाश्वत सत्य है जग का
    इसको ही लो जान,
    किसकी बारी कब आएगी
    ये जानेगा भगवान.

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  2. जीवन की इस धूप-छाँव का है मुनीम भगवान
    बही उसी के पास है सब खातों पर ध्यान

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  3. jeevan-darshan ko
    qreeb se samjhaati huee
    kaamyaab rachnaa
    mn ki kash.m.kash
    aur
    zindgi ki sachchaaee
    dono ka chitran....waah !

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  4. सरलता से कही गई बहुत बडी बात .............बहुत ही प्रभावित करने वाली रचना ..शुक्रिया
    अजय कुमार झा

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  5. जीवन के इस बगिया में ,
    धूप छाँव दोनों आते हैं ।
    धूप छाव का ही तो खेल है यह जीवन
    सुन्दर रचना

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  6. bahut acchi kabita hai....
    kaash ye pata hota sabko kiski baari kab aayegi...........
    hajaro kabita ki tarah ye bhi apne aap mai alag hai..........

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  7. जीवन के इस बगिया में ,
    धूप छाँव दोनों आते हैं ।
    किसकी बारी कब आएगी ,
    इसका न हुआ कभी ज्ञान
    यह सोच मैं हूँ हैरान ।।

    बस यही एक चीज़ तो भगवान ने अपने हाथ मे रखी है………………॥बहुत ही गहरे भाव भरे है कविता में

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  8. धूप छाव का ही तो खेल है यह जीवन
    सुन्दर रचना

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  9. बहुत बढ़िया...भोले भाले प्रश्न, कठिन उत्तर

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  10. सच है, दुनिया मे हर शै का हिसाब इश्वर रखता है और उन्ही की हाथों मे हम सब का भाग्य हैं । प्रश्न सरल है मगर भाव गंभीर । सुन्दर रचना ।

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  11. प्रश्न बहुत कठिन हैं या कहिये कि उत्तर.

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  12. जीवन की कडवी सच्चाइयों को कविता में बहुत ख़ूबसूरती से आपने ढाला है...मेरी बधाई स्वीकारें
    नीरज

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  13. जीवन के इस बगिया में ,
    धूप छाँव दोनों आते हैं ।
    किसकी बारी कब आएगी ,
    इसका न हुआ कभी ज्ञान
    यह सोच मैं हूँ हैरान ।।
    ye bahut hi badhiya lines hai dil jeet liya in alfazoan ne

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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