Wednesday, January 6, 2010

रंग मंच सा लगता मुझको


" रंग मंच सा लगता मुझको "

रंग मंच सा लगता मुझको
मैंने दुनिया को ना जानी ।

जीवन के इस रंग मंच पर
कलाकार अद्भुत देखी है
निर्देशन का पता नहीं है
होती है अभिनय मन मानी
मैंने दुनिया को ना जानी ।

दो अन्जाने मिल जाते हैं
मिलकर अभिनय कर जाते है
अभिनय करना एक कला है
कला नहीं तो है नादानी
मैंने दुनिया को ना जानी ।

मंच जहाँ भी मिल जाता है
जाकर वहाँ ही रम जाते हैं
नहीं खबर है पटाक्षेप का
लगती है दुनिया अन्जानी
मैंने दुनिया को ना जानी ।

- कुसुम ठाकुर -


21 comments:

  1. मंच जहाँ भी मिल जाते हैं
    बस उसमे ही रम जाते हैं
    पटाक्षेप का खबर नहीं जो
    यह न है नादानी
    दुनियाँ को मैं ने न जानी ।

    सच कहा आपने । खूबसूरत रचना , बधाई

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  2. बहुत उम्दा बात कही!!

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  3. जीवन के इस रंग मंच पर
    कलाकार अद्भुत देखी है
    निर्देशन का पता नहीं है
    अभिनय करे मन मानी
    दुनिया को मैं ने न जानी ।
    वाह। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति। सटीक। समयोचित। सार्थक।

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  4. दुनिया को रंगमंच के अलग तरह के बिम्ब मे प्रस्तुत करती यह एक बेहतरीन कविता है ।

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  5. कुसुमजी आपने अपनी रंगमंच की दुनिया को इस कविता में उतार दिया है बधाई.

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  6. दुनिया रंगमंच ही तो है ...और हम सब कलाकार ...अपना पात्र ठीक से निभा ले बस ...!!

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  7. जिंदा रहना एक जंग है
    दुनिया एक रंग मंच है

    हम सब पात्र है नाटक के

    खुब सुरत अभिव्यक्ति। आभार
    नुतन वर्ष की शुभ कामनाएं

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  8. दो अन्जाने मिल जाते हैं
    मिलकर अभिनय कर जाते है
    अभिनय करना एक कला है
    कला नहीं तो है नादानी
    मैंने दुनिया को न जानी ।

    Sach kaha...eksaath rahkar bhee do log ek doojese anjaan rah jate hain!

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  9. aap ki kavita bahut achi lagi. aap ka likha har sabda dil ki gahraiyo ko chu jata hai.

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  10. behtreen rachna...

    sanjay bhaskar
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  11. उफ़्फ़्फ़...दीदी, बहुत सुंदर लिखा है आपने।

    "मंच जहाँ भी मिल जाते हैं
    जाके उसमे रम जाते हैं
    नहीं खबर है पटाक्षेप का
    लगती है दुनिया अन्जानी "

    बहुत खूब और ब्लौग का नया कलेवर भी खूब फ़ब रहा है। शीर्षक को तनिक बोल्ड में लिखा कीजिये...एक बेहतरीन रचना के लिये हृदय से बधाई दी!

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  12. मंच जहाँ भी मिल जाते हैं
    जाके उसमे रम जाते हैं
    नहीं खबर है पटाक्षेप का
    लगती है दुनिया अन्जानी
    मैंने दुनिया को न जानी ।
    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति है। बधाई

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  13. बेहतरीन रचना के लिये हृदय से बधाई

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  14. आपकी रचना बेहद अद्भुत थी। फिर भी मैं यहाँ कुछ अटकता चला गया।


    मैंने दुनिया को न जानी।

    शायद

    मैं दुनिया को न जानी

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  15. हैरत की बात है इतना कुछ जान कर भी कहती हैं की कुछ नहीं जानती .बहुत सुंदर अभिव्यक्ति

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  16. मंच जहाँ भी मिल जाते हैं
    जाके उसमे रम जाते हैं
    नहीं खबर है पटाक्षेप का
    लगती है दुनिया अन्जानी
    मैंने दुनिया को न जानी ।


    बहुत सुंदर रचना ......
    द्वीपांतर परिवार की ओर से लोहड़ी एवं मकर सकांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  17. सभी चिट्ठाकार साथियों को उत्साहवर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!

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  18. जीवन के इस रंग मंच पर
    कलाकार अद्भुत देखी है
    निर्देशन का पता नहीं है
    होती है अभिनय मन मानी
    मैंने दुनिया को ना जानी ।

    ...a small poem with a volumnous meaning within ... regards

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  19. Pratibhavant kavyitri ki
    prtibhvant kavita...

    Bas etna hi likh sakta hu

    Regards,

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  20. bahut badiya ...rang -manch kajo prayopg aapne kiya ...adhbhut ...vilakshan

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