Friday, October 9, 2009

जन्म मरण अज्ञात क्षितिज


"जन्म मरण अज्ञात क्षितिज"

जन्म मरण अज्ञात क्षितिज ,
जिसे समझ सका न कोई ।
न इसका कोई मानदंड ,
और न जोड़ है इसका दूजा ।

कभी लगे यह चमत्कार सा ,
लगे कभी मृगमरीचिका ।
कभी तो लागे दूभर जीवन ,
कभी सात जन्म लागे कम ।

धूप के बाद छाँव है आता ,
है यह रीति प्रकृति का ।
पर जीवन की धूप छाँव ,
रहे कभी न एक सा ।

कभी लगे जन्मों का फल ,
पर साथ भी फल है मिलता ।
पुनर्जन्म भी बीच में आए ,
 पर नहीं सिद्ध है कर पाए

आत्मा तो है सदा अमर ,
दार्शनिकों का कहना ।
वैज्ञानिकों ने बस इतना माना ,
कुछ नष्ट न होवे पूर्णतः ।।

- कुसुम ठाकुर -



10 comments:

  1. कभी लगे यह चमत्कार सा ,
    लगे कभी मृगमरीचिका ।
    कभी तो लागे दूभर जीवन ,
    कभी सात जन्म लागे कम
    sunder kaita,jeevan maram ka chakra nirantar hcalta hi jata hai.

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  2. bilkul sahi kaha hai aapane janm maran agyat kshitij hai .........atisundar

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  3. जन्म मरण अज्ञात क्षितिज ,
    जिसे समझ सका न कोई ।
    न इसका कोई मानदंड ,
    और जोड़ न है इसका दूजा ।

    " badhiya rachana "

    -----eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

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  4. धूप के बाद छाँव है आता ,
    है यह रीति प्रकृति का ।
    पर जीवन की धूप छाँव ,
    रहे कभी न एक सा ।
    कभी लगे यह चमत्कार सा ,
    लगे कभी मृगमरीचिका ।
    कभी तो लागे दूभर जीवन ,
    कभी सात जन्म लागे कम
    बहुत सुन्दर रचना है बधाई

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  5. माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
    क्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?

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  6. आत्मा तो है सदा अमर ,
    दार्शनिकों का कहना ।
    वैज्ञानिकों ने बस इतना माना ,
    कुछ नष्ट न होवे पूर्णतः ।nice

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  7. जीवन रहस्य को समेटे गहरे भाव की रचना कुसुम जी। जब इन पंक्तियों को पढ़ रहा था तो कभी की लिखी ये पंक्तियाँ याद आयीं-

    मंजिल निश्चित पथ अनजान।
    चतुराई का क्या अभिमान?
    जीवन मौत संग चलते हैं,
    आगत का किसको है भान?
    व्याप्त अंधेरा कम करने को क्षीण ज्योति भी ले आता।
    रवि शशि तारे बात दूर की जुगनू भी मैं बन पाता।।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  8. आप सभी स्नेहीजनों का आभार ।

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  9. कभी लगे यह चमत्कार सा ,
    लगे कभी मृगमरीचिका ।
    कभी तो लागे दूभर जीवन ,
    कभी सात जन्म लागे कम....

    जीवन की सरसता का कारण भी यही है

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