Tuesday, September 29, 2009

चाहत

"चाहत "

जिन भावों की मैं, वर्षों से प्यासी
वह भाव आज, फ़िर से जगी है
जिस चाहत को मैं तो, भूल ही गई थी
वह चाहत मन में, जागृत हुई है
जिन नयनों को मैं, समझी कभी न
वे नयन अब मुझे, भाने लगे हैं
जिस द्वार पर मैं,न तकती थी उसपर
नजर मेरी अब तो, ठहर सी गई है
जिस समर्पण में न मुझे मिलती थी खुशियाँ
वह समर्पण मैं आज करने को उत्सुक
जिन खुशियों की मैं न की थी कल्पना
वह खुशी आज मिल ही गई है

- कुसुम ठाकुर -

5 comments:

  1. " badhiya post hai ....aapko badhai ,apane bhavo ko acchi tarha se prastut kiya hai aapne "

    ----- eksacchai { AAWAZ }

    http://eksacchai.blogspot.com

    http://hindimasti4u.blogspot.com

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  2. सही चाहत है आपकी शुभकामनाओं सहित पंकज

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  3. aisi chaahat jindagi hoti hai ..........aisi chahato se to jindgi ko ek naya rasta milata hai ..........ek nayi urja jo tan man ko jawan kar jati hai........bahut hi sundar rachana

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  4. आप सबों का आभार .

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