मेरी यादें मेरे भाव
यादों और संस्मरणों को ,
भावों में व्यक्त करूँ कैसे ?
यादों को गीतों में पिरो दूँ ,
वह गीत सुनाऊँ किसको ?
भावों की उन पंखुडियों को ,
मैं अर्पण करूँ किसको ?
यादों से क्या मिले सुकून ,
यह प्रश्न मैं पूछूँ किससे ?
भाव तो मुझे लगे स्वभाविक ,
पर प्रर्दशित करूँ कैसे ?
यादों को सहेज ध्यान में ,
भाव कुसुम त्यागूँ कैसे ?
यादों और संस्मरणों को ,
भावों में व्यक्त करूँ कैसे ?
यादों को गीतों में पिरो दूँ ,
वह गीत सुनाऊँ किसको ?
भावों की उन पंखुडियों को ,
मैं अर्पण करूँ किसको ?
यादों से क्या मिले सुकून ,
यह प्रश्न मैं पूछूँ किससे ?
भाव तो मुझे लगे स्वभाविक ,
पर प्रर्दशित करूँ कैसे ?
यादों को सहेज ध्यान में ,
भाव कुसुम त्यागूँ कैसे ?
-कुसुम ठाकुर -
bahoot khoob kusum jee
ReplyDeleteबेहद खुबसूरत रचना....
ReplyDeleteधन्यवाद ...
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