Tuesday, August 11, 2009

वह हंसती है

"वह हँसती है"

वह हँसती है..
पर क्या किसी ने उसकी हँसी के
पीछे की सिसकियों को देखा है ?
ऊपर से खिलखिला कर हँसने वाली
आत्मा की पुकार को देखा है ?
ऊपर से दृढ दिखने वाली को,
रातों के अँधेरे में बेसहारा होते हुए देखा है ?
मैंने देखा है..
वह हँसती है लोगों को झुठलाने के लिए 
दृढ दिखती है कमजोरी को छुपाने के लिए 
सहारा देती है तो बस , लोग उसे बेसहारा न कहें

-कुसुम ठाकुर-


16 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावुक कर देने वाली रचना .

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  2. yah puri satya hai .......jab insan sabse jyada besahara our akela hota hai to usame yah sare lachhan dikhata hai ........aankhe nam ho gayi......bahut bahut dhanyawaad

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  3. बहुत सुन्दर व मार्मिक रचना।

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  4. di really....kafi achhi hai,aapke he jaisi.

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  5. मेरे सभी पाठकों और साथियों को आभार.

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  6. seene men dard dabaye hoton pe muskan liye ye aapkee nayika............

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  7. aapki is sachhai se oot prot rachna ke liye bas ek line kahna chhahungi.
    "zindgi..........ka safar hai ye kaisa.......safar koi samjha nahi koi jaana nahi........"

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  8. aapki is sachhai se oot prot rachna ke liye bas ek line kahna chhahungi.
    "zindgi..........ka safar hai ye kaisa.......safar koi samjha nahi koi jaana nahi........"

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  9. खूबसूरत एहसास की रचना. अच्छा लगा

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  10. Kam shabdo me gambheer bhaw ki abhiwaykti...Lajawab

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  11. hi ye rachan aapki bahut sunder lagi bilkul aapbiti ajsi hai

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  12. आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
    रचना गौड़ ‘भारती’

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  13. बेहतरीन रचना... बधाई...

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