Sunday, July 12, 2009

मोमबत्ती का रस्म

जन्मदिन 
 एक बार मैं अपने पति से बोली 
इस बार मैं अपना जन्मदिन 
खूब धूम धाम से मनाऊंगी। 
पति बोले अरे भाग्यवान 
जन्मदिन तो मना लोगी 
उस रस्म का क्या करोगी 
जिसमे केक काटी जाती है 
और केक पर उतनी ही 
मोमबत्तियां लगाई जातीं हैं 
जितने उम्र के लोग होते हैं। 
इतने दिनों से तुम अपनी 
उम्र छुपाती आयी हो 
जन्मदिन मनाओगी तो 
सारा भेद खुल जाएगा। 
ऐसा करते हैं _ 
बारह को तुम्हारा जन्मदिन है 
तेरह को हमारी शादी का सालगिरह 
क्यों न हम 
तेरह को दोनों ही धूम धाम से मना लें 
कहने को शादी का सालगिरह 
और मोमबत्तियां बस उतनी ही 
जितने सालों से मैं तुम्हें 
 झेलता आया हूँ।।
-कुसुम ठाकुर-

6 comments:

  1. Good poem Kusum Ji,it shows yr approach and thought pattern,hope to get something new soon.
    regards,
    Dr.Bhoopendra

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  2. That was so touching. God is up somewhere and he must be smiling cutely on himself, as how he got the two most amazing people on the earth together. Belated birthday wishes, and happy anniversary. Some things never die. :)

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  3. दीदी आप ने तो हम लोगो को अपनी उम्र छुपाने और जन्म दिन मनाने का बहुत अच्छा बहाना दे दिया है .

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  4. धन्यवाद , भूपेंद्र जी, तन्नु और डॉली.

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  5. kya bat hai kusum ji . ek sath dono ko mombatti me samet diya. bahut khoob.

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  6. Didi ,
    LPT 's sense of Humour and affection love both were wonderful !!!

    We miss him day and night ....

    I found his hand written card he sent to me to my hostel .....on "sweet 19" .

    Unbelievable .
    Binny

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