"रजत जयंती स्वर्ण बनाओ"
एक दूजे से प्यार बहुत
दुनिया में दीवार बहुत
किसने किसको दी तरजीह
वैसे तो अधिकार बहुत
लगता कम खुशियों के पल हैं
पर उसमे श्रृंगार बहुत
देखोगे नीचे संग में तो
जीने का आधार बहुत
एक दूजे के रंग में रंगकर
खुशियों का संसार बहुत
कुसुम कामना अनुपम जोडी
सदियों तक हों प्यार बहुत
रजत जयंती स्वर्ण बनाओ
जीवन की रफ़्तार बहुत
-कुसुम ठाकुर-
सुन्दर प्रस्तुति ....!!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार (24-07-2013) को में” “चर्चा मंच-अंकः1316” (गौशाला में लीद) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
छोटी बहन की २५ वीं शादी की सालगिरह पर बहुत सुन्दर उपहार है यह कविता ....जब यूँ ही सबका प्यार मिलता है तो खुशियों दुगुनी हो जाती हैं ..
ReplyDeleteमेरी ओर से भी हार्दिक बधाई!
छोटी बहन को २५वी सालगिरह की बधाई और शुभकामनायें ...
ReplyDeleteThank you didi ...Hem n myself, we both liked it very much and its already in my web album as memory and blessings from you .
ReplyDeleteThank you ,
Binny
@रूपचंद्र शास्त्री जि,कविता जी,दिगम्बर नासवा जी, छोटी बहन को शुभकामाना देने के लिए धन्यवाद!!
ReplyDeleteKusum Di,
ReplyDeleteAAP kaa ashirwaad kavita ke roop mein aur bhi adbhut lag rahi hai :)