करीब ढाई महीने से अमेरिका में हू, इन ढाई महीने में काफी कम लिख पाई हूँ। सच कहूँ तो पोते को छोड़कर कुछ करने का मन ही नहीं होता। उसके साथ एक एक पल मेरे लिए अनमोल हैं। होता है किसी और काम में लग गई तो कुछ अनमोल घड़ियाँ छूट न जाए। पर जब वह सो जाता है उस समय कुछ लिख लेती हूँ या समाचार पढ़ने लिखने का काम कर लेती हूँ। आज अंतरजाल पर गई तो पाई पूरा अंतरजाल "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस" पर आलेख कवितायें शुभकामनाओं से भरा था। मन में तरह तरह की बातें आने लगी।
जब बच्चों को पढ़ाने लगी उस समय भी बच्चों को नारी के समानार्थक शब्द में "अबला" शब्द लिखने पढ़ने नहीं देती और बड़े ही प्यार और चालाकी से नारी के दूसरे दूसरे शब्द लिखवा देती । मालूम नहीं क्यों अबला शब्द मुझे गाली सा लगता था और अब भी लगता है।
हर महिला दिवस पर महिलाओं के लिए आरक्षण की बात होती है कुछेक सम्मान का आयोजन। साल के बाक़ी दिन हर क्षेत्र में अब भी न वह सम्मान न वह बराबरी मिल पाता है जिसकी वह हकदार है या जो दिवस मनाते वक्त कही जाती है। कहने को तो आज सभी कहते हैं "नारी पुरुषों से किसी भी चीज़ में कम नहीं हैं". परन्तु नारी पुरुष से कम बेसी की चर्चा जबतक होती रहेगी तबतक नारी की स्थिति में बदलाव नहीं आ सकता।
नारी ममता त्याग की देवी मानी जाती है और है भी। यह नारी के स्वभाव में निहित है , यह कोई समयानुसार बदला हो ऐसा नहीं है। ईश्वर ने नारी की संरचना इस स्वभाव के साथ ही की है। हाँ अपवाद तो होता ही है। आज नारी की परिस्थिति पहले से काफी बदल चुकी है यह सत्य है। आज किसी भी क्षेत्र में नारी पुरुषों से पीछे नहीं हैं । बल्कि पुरुषों से आगे हैं यह कह सकती हूँ। आज जब नारी पुरुषों से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है तब भी आरक्षण की जरूरत क्यों ? आरक्षण शब्द ही कमजोरी का एहसास दिलाता है आज एक ओर तो हम बराबरी की बातें करते हैं दूसरी तरफ आरक्षण की भी माँग करते हैं , यह मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आता है। क्या हम आरक्षण के बल पर सही मायने में आत्म निर्भर हो पाएंगे? हमें जरूरत है अपने आप को सक्षम बनाने की, आत्मनिर्भर बनने की, आत्मविश्वास बढ़ाने की। जिस दिन हमें आरक्षण की जरूरत महसूस होना बंद हो जाएगा वही दिन महिला दिवस होगा।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा शनिवार (9-3-2013) के चर्चा मंच पर भी है ।
ReplyDeleteसूचनार्थ!
बहुत बहुत धन्यवाद.
ReplyDeletebahut badhiya...
ReplyDeleteनारी अबला नहीं बल्कि एक शक्ति है
ReplyDeleteसार्थक लेख !
नारी अपनी अस्मिता के प्रति सचेत हो तभी उसका आत्म-सम्मान जाग्रत होगा !
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ReplyDeleteसटीक और सार्थक विचार आप भी मेरे ब्लोग्स का अनुशरण करे ,ख़ुशी होगी
ReplyDeletelatest postमहाशिव रात्रि
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sundar jaankari..
ReplyDeletesundar jaankari..
ReplyDeletesundar jaankari..
ReplyDeleteबहुत सार्थक विवेचन..
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ReplyDeleteप्रतिक्रिया के लिए सभी मित्रोन को आभार!!
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