" भाव कुसुम यह कैसे छुपाए"
आज दर्श आया आँगन में,
ले अनंत खुशियाँ जीवन में,
किलकारी से गूँजे कोना,
चाँद सा मुखड़ा सपन सलोना
छवि निहार मगन हो जाऊँ
जो चाहत थी उसमे पाऊँ
ईश कृपा अब द्वारे आया
जीवन का खोया सुख पाया
किसलय रूप देख खो जाऊँ
मुस्कानों पर बलि बलि जाऊँ
हैं चक्षु उसके दिव्यमान
नव खुशियों का है सोपान
दूर मगर तुम ह्रदय समाए
नयनों में पानी भर आए
मन की खुशियाँ बाँध न पाऊँ
आलिंगन को हाथ बढ़ाऊँ
लूं मैं बलैया ऐसे जो तेरे
कहीं नजर लगे न मेरे
कष्ट तुम्हे कभी छू न पाए
भाव कुसुम यह कैसे छुपाए
-कुसुम ठाकुर-
भावनाओं का बहता बयार, अति सुन्दर.
ReplyDeleteऔर अनेकानेक बधाई.
दूर मगर तुम ह्रदय समाए
ReplyDeleteनयनों में पानी भर आए
बहुत सुंदर
बधाई लाओ मेरी मिष्ठान मिठाई
सही कहा मूल से सूद प्यारा होता है ………पोते के जन्म की हार्दिक शुभकामनायें।
ReplyDeleteकुसुम बधाई आपको, घर आए मेहमान
ReplyDeleteसुमन ह्रदय शुभकामना, बनी रहे मुस्कान
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
http://meraayeena.blogspot.com/
http://maithilbhooshan.blogspot.com/
सूद मूल से ज्यादा प्यारा होता कहें सयाने.
ReplyDeleteजब तक हाथ न आये तब तक बात न कोई माने.
हुआ खुशी में मैं सहभागी सचमुच हूँ बडभागी-
सबसे ज्यादा पाऊँ मिठाई मन में हूँ हठ ठाने..
बहुत सुन्दर भावप्रणव प्रस्तुति।
ReplyDeleteभावुक कर देने वाली रचना।
ReplyDeletewah....
ReplyDeleteaapki rachna or bete-bahu ki rachna dono hi bahut sunder hain..... aap sab ko dher saari badhai....
hardik shubhkamnaye... dil ko chhoo rahee hai aapki ye rachnaa. badhai...hardik badhai....
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना...और उससे भी प्यारा ये राजकुमार....
ReplyDeleteआपको बहुत सारी शुभकामनाएं...
आँगन खुशियों से भरा रहे सदा....
सादर
अनु
आज 13/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
ReplyDeletebahut bhaut badhai aapko :)
ReplyDeleteदादी बनने की बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें ॥
ReplyDeleteबहुत प्यारी रचना
किलकारियों से गूंज गयी कविता पोते के जन्म की बहुत बहुत बधाई
ReplyDeleteप्यार, आशीर्वाद बरसाती हुई सुंदर रचना ..
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई !
सादर !
A beautiful composition
ReplyDeleteThe tiny soul might be having the gigantic stature for having been chosen to be gifted to you by the nature god
ReplyDeleteYou never lost any thing but were forced to pledge your treasures to be repaid with compounded premium value.