" ऐसा भी मन पावन देखा "
कैसे कह दूँ ख्वाब न देखा
आज करूँ कैसे अनदेखा
न वो बातें, न वो रिश्ते
फिर भी लगता है मन देखा
तन्हाई भी साथ रहे जब
ऐसा क्यूँ लगता घन देखा
साथ चले थे बरसों पहले
ऐसा भी मन पावन देखा
हरियाली का पता नहीं है
किस्मत से वह सावन देखा
-कुसुम ठाकुर-